रमजान के आखिरी अशरे में ही आती है इज्जत और अजमत वाली रात – सैयद हसन

रमजान के आखिरी अशरे में ही आती है इज्जत और अजमत वाली रात – सैयद हसन
WhatsApp Channel Join Now
रमजान के आखिरी अशरे में ही आती है इज्जत और अजमत वाली रात – सैयद हसन




भागलपुर, 06 अप्रैल (हि.स.)। सैयद शाह हसन ने शनिवार को कहा कि अल्लाह की मेहरबानी से माहे-रमजान का कारवां छबीसवें रोजे तक पहुंच चुका है। कहा जाता है कि जिस दिन 26वां रोजा होता है, इस तारीख को रमजान की सत्ताईसवीं रात होती है। इस रात को अल्लाह की मेहरबानी यानी शबे-कद्र की खास रात कहा जाता है। हदीस-नबवी में कहा गया है कि, शबे-कद्र को रमजान की तीसरे अशरे यानी अंतिम कालखंड की रातें मानी जाती है।

सैयद हसन ने कहा कि जिस दिन छब्बीसवां रोजा होता है, उस तारीख़ को माहे-रमजान की सत्ताईसवीं रात होती है। इस रात को ही अमूमन शबे-कद्र (अल्लाह की मेहरबानी की खास रात) शुमार किया जाता है। हालांकि हदीसे-नबवी में जिक्र है कि शबे-कद्र को रमजान के आखिरी अशरे (अंतिम कालखंड) की ताक रातों (विषम संख्या वाली रातें) जैसे 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रात में तलाश करो, लेकिन हजरत उमर और हजरत हुजैफा (रजियल्लाहु अन्हुम) और असहाबे-रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) में से बहुत से लोगों को यकीन था कि रमजान की सत्ताईसवीं रात ही शबे-कद्र है। ऐसे में वाल यह उठता है कि शबे-कद्र क्या है? शब के मा''नी है रात, कद्र के मा''नी है इज्जत। शबे-कद्र यानी ऐसी शब (रात) जो कद्र (इज्जत, सम्मान) वाली है। सैयद हसन ने कहा कि माहे-रमजान के आखिरी अशरे में ही शबे-कद्र यानी इज्जत और अजमत वाली ये रात आती है। अब दूसरा सवाल यह पेश आता है कि शबे-कद्र की ऐसी क्या ख़ासियत है कि इसे इतनी अहमियत हासिल है?

इसका जवाब देते हुए सैयद हसन ने कहा कि जिस तरह नदियों में कोई नदी बहुत खास होती है, पहाड़ों में कोई पहाड़ बहुत खास होता है, परिंदों (पक्षियों) में कोई परिंदा बहुत खास होता है, दरख्तों (वृक्ष) में कोई दरख्त बहुत खास होता है, दिनों में कोई दिन बहुत खास होता है वैसे ही रातों में कोई रात बहुत खास होती है। उन्होंने कहा कि रमजान के माह में शबे-कद्र ऐसी ही खास और मुकद्दस (पवित्र) रात है,जिसमें अल्लाह ने हजरत मोहम्मद (सल्ल.) के जरिए से कुरआने-पाक की सौग़ात दी। मजहबे-इस्लाम की पाकीजा किताब-कुरआने-पाक दरअसल तमाम दुनिया और इंसानियत के लिए रहनुमाई, रौनक और रहमत की रोशनी तो है ही, समाजी जिंदगी का पाकीजा आईन (विधान) भी है।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

/चंदा

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story