मछुआ आजीविका अधिकार प्रांतीय प्रशिक्षण शिविर
भागलपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)। मछुआ आजीविका अधिकार प्रांतीय प्रशिक्षण शिविर की रविवार को शुरुआत हुई। प्रशिक्षण का आयोजन जल श्रमिक संघ और बिहार प्रदेश मत्स्यजीवी जल श्रमिक संघ की ओर से सूजागंज स्थित एक होटल में रखी गई। विभिन्न जिलों से आए मछुओं और आजीविका अधिकार पर काम करने वाले कार्यकर्ता भागीदारों का स्वागत गौतम कुमार ने किया।
उदय ने कार्यक्रम की भूमिका और रूपरेखा रखते हुए कहा कि 1991 में बिहार की सभी नदियां टैक्स फ्री की गई है। उसकी अद्यतन स्थिति, पारंपरिक मछुओं के लिए निःशुल्क शिकारमाही बिल/एक्ट बनाने की पहल, नदियों की स्थिति, जलवायु परिवर्तन और जलवायु न्याय, जेंडर जस्टिस, गंगा मुक्ति आंदोलन का इतिहास, उपलब्धि, नीतियां आदि पर हम चर्चा करेंगे। भागलपुर से योगेंद्र सहनी, सारण से राजा राम सहनी, सुपौल से संतोष मुखिया, समस्तीपुर से फ़ुचाय सहनी और मुजफ्फरपुर से सुनील कुमार ने अपने अपने क्षेत्र की स्थिति रखते हुए कहा कि फ्री फिशिंग राइट को वर्तमान सरकार ने चालाकी पूर्वक खत्म कर दिया है और अब मनरेगा की तरह इसे खत्म कर दिया जायेगा।
राहुल ने पीपीटी के जरिये विस्तार से वैकल्पिक बिल का प्रारूप रखा। इस बिल में पटना से आई डॉ शरद कुमार ने कई संशोधन की ओर इशारा किया। डॉ योगेंद्र ने गंगा मुक्ति आंदोलन की उपलब्धि की चर्चा करते हुए कहा कि आंदोलन ने दो बड़ी जीत हासिल की, एक अस्सी किलोमीटर गंगा में चल रही जमींदारी खत्म हुई और बिहार की सभी नदियां मछुओं के लिए टैक्स फ्री किया गया। गंगा मुक्ति आंदोलन की दृष्टि पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम शांतिमय संवैधानिक संघर्ष में विश्वास रखते हैं। वर्तमान विकास की अवधारणा छोटे और कमजोर लोगों को और कमजोर बनाता है और कॉर्पोरेट को लूटने की इजाजत देता है। कल प्रशिक्षण का कंक्लूडिंग सत्र होगा। आज श्री रामशरण अनिरुद्ध रोहित, लखनलाल सहनी, डॉ अलका सिंह आदि ने भी शिरकत किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर

