बिन पानी सब सून विषय पर प्रेस वार्ता आयोजित
भागलपुर, 31 मार्च (हि.स.)। भागलपुर के गांधी शांति प्रतिष्ठान में रविवार को प्रेस सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रेस सम्मेलन की अध्यक्षता गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र गुप्ता द्वारा किया गया। स्वागत जनप्रिय के गौतम कुमार और विषय पर विस्तार से चर्चा डॉ मनोज कुमार द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र गुप्ता ने कहा कि सिंचाई, जल प्रबंधन, जल जमाव आदि की समस्या का अध्ययन करने के लिए अध्ययन दल द्वारा बीते 28 और 29 मार्च को कहलगांव के पूर्व कोबा, ढोल्ला और लहेरिया नदियों का अध्ययन किया गया। कोआ नदी ढोल्ला और लहेरिया की धारा को समेट कर झारखंड के बोआरीजोर से चलते हुए कहलगांव अंचल प्रवेश करती है। बरसात में बहाव क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्र और चौर में भी अपनी पानी उड़ेलते हुए कहलगांव के पास अपना जल गंगा नदी में उड़ेल देती है।
पिछले कुछ वर्षों में विकास की गति तेज होने से सड़को का काफी निर्माण हुआ है। इससे कही कहीं जल के स्वाभाविक बहाव प्रभावित हुआ है। बरसात में पूर्व की दिशा झारखंड मेहरमा की तरफ से आने वाली पानी का बहाव के स्वाभाविक जल निकासी के अवरुद्ध होने के कारण जल जमाव की स्थिति बन गई है। परिणाम स्वरुप धान की रोपनी भी नहीं हो पाती है और देर से पानी सूखने के कारण मसूर, चना, राई, खेसारी आदि की खेती भी अब नहीं हो पा रही है। लगभग 30-40 एकड़ किसान की जमीन बर्बाद हो गया है। इसे जल्द ना रोका गया तो सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद हो जाएगा। किसानों द्वारा पोखर निर्माण और पुराने डांड़ के सफाई नहीं होने के कारण तथा कहीं कहीं डांड़ को जोत जमीन के साथ मिला लेने के कारण सियां चौर के पानी का स्वाभाविक निकास अवरुद्ध हो गया है। इस दिशा में व्यापक सर्वे की जरूरत है।
उल्लेखनीय हो कि इस जल जमाव के कारण बड़े किसानों के अलावा बड़ी संख्या में कम जोत जमीन वाले खेतिहर मजदूरों की जमीन भी प्रभावित है। फलत: ये लोग मजदूरी हेतु बाहर पलायन करने को मजबूर हैं। इस समस्याओं के अध्ययन के लिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ मनोज कुमार के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण टीम दिनांक 28 3.2024 को सियां गांव पहुंचा और सियां चौड़ में आने वाले नदियों के पानी के प्रवाह तथा पानी के स्वाभाविक निकासी का अध्ययन किया।
सर्वेक्षण टीम में स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. उमेश प्रसाद नीरज, गांधी विचार विभाग के ही शोध छात्र राजीव कुमार, स्थानीय इंजीनियर सत्येंद्र जी, अमीन बाबूलाल सिंह के अलावा ग्रामीण किसान भी साथ थे। सर्वेक्षण और अध्ययन से पता चले समस्याओं के समाधान के लिए सर्वेक्षण टीम ने कई सुझाव भी दिए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/चंदा
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