फ्री फिशिंग एक्ट बनाने के लिए तेज करेंगे संघर्ष - अनिल प्रका
भागलपुर, 18 सितंबर (हि.स.)। गंगा मुक्ति आंदोलन की ओर से बुधवार को कला केंद्र में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकारों और अतिथियों का स्वागत उदय ने किया। पत्रकारों को संबोधित करते हुए गंगा मुक्ति आंदोलन के वरिष्ठ संगठनकर्ता अनिल प्रकाश ने कहा कि गंगा मुक्ति आंदोलन 80 कि. मि. की जमींदारी उन्मूलन और नदियों में टैक्स माफी के बाद नए दौर में प्रवेश कर रहा है। गंगा मुक्ति आंदोलन बिना रुके बिना झुके 42 वर्षों से जारी है। गंगा केवल नदी नहीं है न तो केवल प्रतीक है एक सभ्यता और संस्कृति का बल्कि यह सच है कि गंगा ने एक संस्कृति और सभ्यता का निर्माण किया है। गंगा को बचाने की लड़ाई का अर्थ है सभ्यता बचाने की लड़ाई। इसलिए सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक हमलों के खिलाफ व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष को आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्हाेंने कहा कि वर्तमान आर्थिक नीतियों और विकास के गलत मॉडल के कारण गंगा और अन्य नदियां मर रही हैं। नदियों पर निर्भर मछुआ और किसान मर रहे हैं। लंबे संघर्ष के बाद 1991 में पारंपरिक मछुओं के लिए सभी नदियां कर मुक्त की गई है लेकिन कहीं अभ्यारण्य तो कहीं नन गजटेड नदी कहकर मछुओं के निशुल्क मछली पकड़ने के अधिकार को बाधित किया जा रहा है। इसलिए हम लोग फ्री फिशिंग एक्ट बनाने के संघर्ष को तेज करेंगे।
प्रेस वार्ता में डॉ. योगेंद्र, डॉ रुचि, उदय, मो. शाद, नव ज्योति कुमारी, गौतम कुमार, राम बाबू सुनील कुमार स्मिता कुमारी आदि मौजूद थे। अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन गौतम कुमार ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर
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