नफरत की आंधियों में प्रेम का दीप जलाएं और मुहब्बत का चिराग रोशन करें: सैयद हसन

नफरत की आंधियों में प्रेम का दीप जलाएं और मुहब्बत का चिराग रोशन करें: सैयद हसन
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नफरत की आंधियों में प्रेम का दीप जलाएं और मुहब्बत का चिराग रोशन करें: सैयद हसन




भागलपुर, 11 अप्रैल (हि.स.)। ईमान वालों ने सारी दुनिया में रमजानुल मुबारक के पूरे माह में रोजा रखकर तराबिया पढ़ते हुए अल्लाह की इबादत करके रोजेदारों ने ईद की खुशियों का इस्तकबाल किया। यह ईद आपसी सौहार्द प्रेम और सद्भावना का पैगाम लेकर आई है। अहले ईमान को चाहिए कि एक अल्लाह की इबादत करें और समस्त मानवता से प्रेम रख इंसानियत की खिदमत करते हुए कमजोर को मजबूत बनाएं। हर असहाय लोगों का सहारा बनें और गरीब-लाचार लोगों की मदद करके उसकी परेशानियों को दूर करने का हम जरिया बनें। ऐसा करने से निश्चित रूप से हम अल्लाह और परवरदिगार के रहमत के हकदार बनेंगे। उक्त बातें खानकाह-ए-पीर शाह दमड़िया के सज्जादानसीं हजरत सैयद शाह आलम फकरे हसन ने ईद की मुबारकबाद देते हुए अपने संदेश में कही।

उन्होंने रमजान के मुबारक महीने को सब्र और संयम का माह बताया और कहा कि यह अब ईद की खूशी लेकर आया है, इसके लिए हमें अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए अल्लाह की इबादत के साथ-साथ समस्त मानव जाति से प्रेम रखना है। इसके साथ ही हमें अपने देश व राज्य को तरक्की की राह पर आगे बढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते रहना है। उन्होंने कहा कि हमारा जीना और मरना अल्लाह की रिजा हासिल करने के लिए होना चाहिए, अपनी कौम व मिल्लत के लिए होना चाहिए और अपने मुल्क यानि अपने वतन के लिए होना चाहिए।

सैयद हसन ने कहा कि आज सारी दुनिया के लिए एक बड़ी लानत यह है कि इंसान-इंसान से झगड़े, एक इंसान दूसरे इंसान का आदर ना करे, इंसान-इंसान से प्रेम न रखें बल्कि उनसे वह दुश्मनी करें...ऐसे में हमें चाहिए कि इस नफरत के आंधियों में हम प्रेम के दीप जलाएं और मोहब्बत का चिराग रोशन करें। जिसकी रोशनी हमारे समाज में फैले और पूरे मुल्क में इसकी खुशबू महसूस की जाए। इस तरह हमें एकजुट होकर कंधे से कंधा मिलाकर देश व समाज के लिए काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हर देश प्रेमी और वतन से प्रेम करने वालों का फर्ज बनता है कि इस बात को अंजाम तक पहुँचाएं, यही समय की पुकार और जरूरत है। सैयद हसन ने कहा कि हम सिर्फ अपनी जिंदगी में मगन हो जाएं और अपने मुआसरे के सुधार के लिए व अपने कौम के इस्लाह के लिए फिक्रमंद होकर काम ना करें, यह एक देश प्रेमी के देश प्रेम को नहीं दर्शाता है बल्कि जो वतन से प्यार करने वाला होता है, उसे तो वतन के हर बातों की फिक्र होती है और वह आगे बढ़कर वतन को तरक्की दिलाने के लिए हर संभव कोशिश करता है।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय /चंदा

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