ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया पर्युषण पर्व का सातवां दिन
भागलपुर, 8 सितंबर (हि.स.)। तेरापंथ उपासना कक्ष में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा एवं तेरापंथ महिला मंडल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित पर्युषण पर्व का सातवां दिन रविवार को ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया। उपासिका भारती रांका ने अपने वक्तव्य में कहा कि पर्युषण पर्व आत्म साधना और आत्मा आराधना का पर्व है। पर्यूषण का हर एक दिन साधना की एक-एक सीढ़ी से चढ़ाते हुए व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। ध्यान दिवस व्यक्ति को सिखाता है अंतर्मन की यात्रा करना। व्यक्ति बाह्य जगत को भली भांति से जानता एवं पहचानता है। लेकिन अपने अंतर जगत को जानने का एकमात्र साधन है ध्यान।
चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने अपनी साधना काल के साढ़े बारह वर्ष में अधिकतम समय ध्यान में ही व्यतीत किया। तेरापंथ धर्म संघ की दसवें आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने ध्यान को एक नया रूप दिया प्रेक्षा ध्यान के रूप में। आज यह देश-विदेश के लोग इसे अपना कर अपने जीवन को एक नया मोड़ दे रहे हैं।
उपासिका मंजू नाहटा ने श्रावक समाज को संबोधित करते हुए कहा कि पयुर्षण पर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस निष्पत्ति एवं उपसंहार के रूप में है। साधु -साध्वी या कोई साधक भी ध्यान रुपी जड़ी बूटी के बिना खड़ा नहीं रह सकता है। शरीर अलग है, आत्मा अलग है। इस भिन्नता को समझ कर ही अंतर्मन की यात्रा करना ध्यान है। मन को साधना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि यह मन ही मनुष्य के कर्मबंध का कारण एवं मोक्ष का भी कारण हो सकता है।
अध्यक्ष विनोद बैद, मंत्री अभिषेक बोथरा, संदीप बैद, संपत बैद, हंसराज बैद, गणेश बोथरा, टीकम चंद बेताला, उज्जैन मालू, पंकज बैद, प्रिया बोथरा, रानू सेठिया, महक बेतला, प्रमिला कोठारी, श्रृष्टि बैद, सरोज बोहरा, अनिता बैद, सपना मालू, मनीषा, मानक बेताला, राजू बैद एवं अन्य श्रावक एवं श्राविकाओं ने दिल्ली से पधारे उपासिका भारती रांका और मंजू नाहटा द्वारा ध्यान दिवस के उपलक्ष्य पर दिए हुए प्रवचन का लाभ उठाया।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर
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