डॉ. अनुज प्रभात की कविता संग्रह मेरी मौत की तारीफ चाहता हूं का हुआ लोकार्पण
अररिया 23 दिसम्बर(हि.स.)। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय फलकों पर अपनी रचना के माध्यम से पहचान बना चुके साहित्यकार डॉ अनुज प्रभात रचित काव्य संग्रह मैं मेरी मौत का तारीफ चाहता हूं पुस्तक का मंगलवार को लोकार्पण किया गया।इन्द्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में डॉ अनुज प्रभात की कविता संग्रह मैं मेरी मौत की तारीफ चाहता हूं का लोकार्पण संवदिया पत्रिका के संपादक मांगन मिश्र मार्तण्ड, बाल साहित्यकार तथा संवदिया के सह-संपादक हेमंत यादव, सुरेन्द्र प्रसाद मंडल, पूर्व बीईओ प्रमोद कुमार झा,अरविंद ठाकुर , दिवाकर कुमार दिवाकर,चंद्रभूषण सिंह,बिनोद कुमार तिवारी,इंजमाम, अमिताभ पाण्डेय,अजातशत्रु अग्रवाल आदि द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
मौके पर अपनी इस पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. अनुज प्रभात ने बताया कि यह पुस्तक तीसरा कविता संग्रह है और उनका सदैव भी प्रयास रहा कि कविताएं हृदयस्पर्शी हो अर्थात सहृदय पाठकों के मन को छू ले। इस संग्रह में गांव की मिट्टी से लेकर शहर की चकाचौंध तक की बातें हैं। मां से पिता तक की बातें हैं और बातें हैं रूमानी प्रेम की,युवा दिलों के धड़कन की।
मांगन मिश्र मार्तण्ड ने कहा कि कवि, कथाकार डॉ अनुज प्रभात की प्रकाशित पुस्तक मैं मेरी मौत की तारीफ चाहता हूं, एक ऐसा कविता संग्रह है,जो पाठक को चिंतन करने के लिए मजबूर कर देगा। इस संग्रह को पढ़ने के बाद पाठक भी अपनी मौत की तारीफ चाहने की हर संभव कोशिश करेगा।
हेमंत यादव ने कहा कि डॉ अनुज प्रभात जो भी लिखते हैं एकदम बेबाक और निष्पक्ष भाव से लिखते हैं, जो एक अच्छे और ईमानदार कलमकार की पहचान होती है। सुरेन्द्र प्रसाद मंडल ने कहा कि इस संग्रह में कवि अनुज प्रभात ने अपनी कविताओं में बडे़े सुंदर तरीके से जाति, धर्म और भाषा की सीमाओं को तोडते हुए उर्दू के शब्दों का खूबसूरती से प्रयोग किया है।बिनोद कुमार तिवारी, प्रमोद कुमार झा,अमिताभ पाण्डेय तथा दिवाकर कुमार दिवाकर ने कहा कि इस संग्रह में डॉ अनुज प्रभात ने शायद ही कोई विषय छोडा़ है। इन्होंने भूख, गरीबी, महंगाई, शिक्षा, संस्कार , संस्कृति , देश प्रेम , फौजी, मां, बहन, स्त्री , चिट्ठी आदि कितने अनछुए पहलुओं को छूकर इस संग्रह को यादगार बनाने और सजाने की भरपूर कोशिश की है।डॉ अनुज प्रभात की इस पुस्तक के पहले भी छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । जिनमें आधे अधूरे स्वप्न, नील पाखी, बूढ़ी आंखों का दर्द, किसी गांव में कितनी बार कब तक, तथा समय का चक्र, समय की रेत पर, क्षितिज,पर आदि प्रमुख हैं। इन्हें देश भर की अनेक साहित्यिक संस्थानों द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ है। वक्ताओं ने कहा कि जिज्ञासा प्रकाशन, गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित डॉ अनुज प्रभात के इस संग्रह को लोकप्रियता मिले, पाठकों, समालोचकों का स्नेह मिले, यही सबकी शुभकामनाएं हैं।
लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संवदिया पत्रिका के संपादक मांगन मिश्र मार्तंड रहे,जबकि संचालन बिनोद कुमार तिवारी ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर

