खड़ी फसल में डीएपी या पोटाश ना डालें, बेकार जाएगा: डॉ ए सिंहा
पूर्णिया, 28 अक्तूबर(हि. स.)। खड़ी फसल में भूलकर भी डीएपी या पोटाश का प्रयोग नहीं करें, वह बेकार जाएगा। उक्त बातें मुख्यालय स्थित किसान भवन में आयोजित रबी महोत्सव पर कृषि वैज्ञानिक डॉ एस पी सिंहा ने किसानों को जानकारी देते हुए कही।
मौके पर उपस्थित किसानों को मक्का की फसल के बीज से लेकर उपज होने तक की पूरी जानकारी देते हुए भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ एसपी सिंहा ने किसानों को बताते हुए कहा कि खड़ी फसल में कभी भी डीएपी या पोटाश नहीं डालें, वह सब बेकार चला जाएगा। डीएपी एवं पोटाश फसल बोने के पहले जोताई के समय ही डालें। बोने के पहले निर्धारित मात्रा में डीएपी, पोटाश एवं यूरिया का प्रयोग करें तथा खडी फसल में घुटनेभर की उंचाई तक एवं छाती की उंचाई तक यूरिया का भुरकाव करें। साथ ही नैनो युरिया का छिडकाव करें। कीट प्रबंधन के बारे में उन्होंने बताया कि सबसे भयानक रोग के रूप में फॉल आर्मी कीट होती है, जो मक्के की फसल को काफी क्षति पहूंचाती है, इसके लिए दवाएं गिनाते हुए कहा कि इसका प्रयोग बारी-बारी से करें तो उसपर काबू पूरी तरह से पाया जा सकता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ यू एन राज ने कहा कि कोई भी फसल उपजाएं, बीच का उपचार जरूर कर लें, इससे 70 प्रतिशत तक रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। इसके लिए बीबीस्टीन से उपचार करें तथा इसे छाया में 24 से 36 घंटों तक रहने दें, इससे बीज पूरी तरह से उपचारित हो जाएगा। इसके बाद एक और दवा होती है, जिसे माड के साथ मिलाकर अगले 12 घंटोंतक बीज को रहने दें, इसके बाद ही लगावें, यह सोना में सुहागा का काम करता है। बिना बीज उपचार भूलकर भी फसल नहीं लगाएं। गेंहूं की फसल बोने के 21 वें दिन पानी जरूर डालें, ऐसा करने से गेंहूं की फसल में उत्पादन ज्यादा होता है। इसके अलावा अनेक जानकारियों किसानों को दी गई।
हिन्दुस्थान समाचार/नंदकिशोर/चंदा
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