कोहरे और शीतलहर की चपेट में सारण जनजीवन अस्त व्यस्त

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कोहरे और शीतलहर की चपेट में सारण जनजीवन अस्त व्यस्त


कोहरे और शीतलहर की चपेट में सारण जनजीवन अस्त व्यस्त


सारण, 18 दिसंबर (हि.स.)। जिलेें में मौसम के मिजाज ने इस कदर करवट ली है कि पूरा जिला वर्तमानें में भीषण शीतलहर और घने कोहरे की चपेट में है। हिमालयी क्षेत्रों से आ रही बर्फीली पछुआ हवा हवाओं ने मैदानी इलाकों में कनकनी बढ़ा दी है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त- व्यस्त हो गया है।

विशेष रूप से सारण जिले और इसके आसपास के क्षेत्रों में कुहासे का ऐसा पहरा है कि दिन में भी रात जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। छपरा- पटना राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग पर स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक बनी हुई है। यहाँ सुबह के वक्त दृश्यता विजिबिलिटी घटकर 100 मीटर से भी कम रह गई है। आलम यह है कि हाईवे पर फर्राटा भरने वाले भारी वाहन और ट्रक महज 8 से 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से रेंगने को मजबूर हैं।

कोहरे की सघनता के कारण वाहन चालकों को दिन के उजाले में भी अपनी हेडलाइट्स और इंडिकेटर्स जलाकर सफर करना पड़ रहा है। दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हो रही है, क्योंकि बर्फीली हवाओं के सीधे संपर्क में आने से दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ गई है।

कड़ाके की ठंड ने आम जनमानस को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है। शासन और प्रशासन द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं, जिसके चलते शहरी, ग्रामीण इलाकों और बस स्टैंड्स पर लोग स्वदेशी जुगाड़ के जरिए ठंड से मुकाबला कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों और राहगीरों को सड़कों के किनारे पुराने गत्ते, रद्दी कागज, सूखी टहनियां और टायर जलाकर खुद को गर्म रखते हुए देखा जा सकता है।

ग्रामीणों का कहना है कि पछुआ हवाओं ने हड्डियों तक को कंपाने वाली ठंड पैदा कर दी है। पशुपालकों के लिए भी यह समय चुनौतीपूर्ण है क्योंकि मवेशियों को ठंड से बचाना मुश्किल हो रहा है। दुकानों पर सन्नाटा पसरा है और दैनिक मजदूरों की रोजी-रोटी पर भी इस मौसम का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। छपरा सहित उत्तर बिहार के कई जिलों में भारी कोहरे को लेकर चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने लोगों, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों को बेवजह घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी है।

चालकों को हिदायत दी गई है कि वे हाईवे पर फॉग लाइट्स का उपयोग करें और सुरक्षित दूरी बनाए रखें। बढ़ती ठंड को देखते हुए स्थानीय सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से चौक-चौराहों पर सरकारी अलाव की व्यवस्था करने और रैन बसेरों की स्थिति सुधारने की मांग की है। फिलहाल, सूर्यदेव के दर्शन दुर्लभ होने के कारण लोगों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय कुमार

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