ईद-उल-फितर की विस्तृत कहानी, सैयद शाह आलम फकरे हसन की जुबानी

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ईद-उल-फितर की विस्तृत कहानी, सैयद शाह आलम फकरे हसन की जुबानी




भागलपुर, 09 अप्रैल (हि.स.)। ईद-उल-फितर जिसे उपवास तोड़ने का त्योहार भी कहा जाता है के संबंध में विस्तार से अपनी बात रखते हुए खानकाह-ए-पीर शाह दमड़िया के सज्जादानशीं सैयद शाह आलम फकरे हसन ने बताया कि इस्लाम में उपवास के पवित्र महीने रमजान के समापन का प्रतीक है।

रमज़ान इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसका विशेष महत्व है। क्योंकि यह उस अवधि की याद दिलाता है, जब कुरान प्रकट हुआ था। उन्होंने बताया कि इस महीने के दौरान मुसलमान पूर्ण उपवास रखते हैं, क्योंकि उपवास इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। उपवास अवधि आत्म-संयम, करुणा और सामूहिक पूजा को बढ़ावा देती है। मुसलमान दिन के उजाले के दौरान भोजन, पेय और कुछ गतिविधियों से परहेज करते हैं, जो न केवल शारीरिक संयम को बढ़ावा देते हैं बल्कि जीवन के एक सचेत और सदाचारी तरीके को भी बढ़ावा देता हैं। सैयद हसन ने बताया कि जैसे ही यह महीना समाप्त होता है, ईद-उल-फितर मस्जिदों में आयोजित एक विशेष प्रार्थना सेवा, सलात अल-ईद के साथ मनाया जाता है। उत्सव आम तौर पर एक से तीन दिनों तक चलता है, जो देश के आधार पर अलग-अलग होता है।

ईद के दिन, उपवास करना मना है और इस दिन एक निर्दिष्ट प्रार्थना की जाती है। परिवार, अपनी बेहतरीन पोशाक पहनकर, इन सेवाओं में शामिल होते हैं, इसके बाद उत्सव समारोहों का आयोजन होता है जिसमें उत्सव, कार्निवल और धर्मार्थ कार्य शामिल हो सकते हैं। विशेष व्यंजन, मिठाइयां और उपहारों का आदान-प्रदान आनंदमय वातावरण में योगदान देता है। इस दौरान दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना एक आम बात है, उत्सव को दो या तीन दिनों तक बढ़ा दिया जाता है। सैयद हसन ने कहा कि ईद-उल-फितर के दौरान कुछ सामान्य रीति-रिवाजों में नए या विशेष कपड़े पहनना, उपहारों का आदान-प्रदान करना, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलना और कार्निवल और बाज़ारों जैसी उत्सव गतिविधियों का आनंद लेना शामिल है। ये गतिविधियाँ विभिन्न संस्कृतियों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती हैं,जहाँ मुसलमान ईद-उल-फितर मनाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

/गोविन्द

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