वन एवं वन्यजीव संरक्षण पर एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला बेतिया मे ।

वन एवं वन्यजीव संरक्षण पर एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला बेतिया मे ।
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वन एवं वन्यजीव संरक्षण पर एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला बेतिया मे ।


बेतिया, 04 दिसंबर (हि.स)। मीडिया जनमत को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानव वन्यजीव संघर्ष के समय तटस्थ कहानियों की रिपोर्ट करना किसी प्रजाति के संरक्षण और मानव जीवन को बचाने का एक अनिवार्य घटक है। संरक्षण के आवश्यक पहलुओं के बारे में मीडिया को संवेदनशील बनाने के लिए, बिहार वन विभाग, जिला जनसंपर्क विभाग ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सहयोग से सोमवार को बेतिया में 30 वरिष्ठ पत्रकारों के लिए एक अभिविन्यास कार्यशाला का आयोजन किया।

राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया के पत्रकारों को वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में किए गए संरक्षण प्रयासों और मानव वन्यजीव संघर्ष से निपटने में वन विभाग और अन्य हितधारकों के सामने आने वाली चुनौतियों से अवगत कराया गया। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया की टीम ने देश भर में अपनाई जाने वाली नैतिकता और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की कार्यक्रम में राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया के 26 पत्रकारों और वन अधिकारियों ने भाग लिया।

डॉ. नेसामणि. आईएफएस, वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर, के, ने कहा “ मीडिया और संरक्षण के बीच बेहतर समन्वय के लिए यह अपनी तरह की पहली पहल है। हम चाहते हैं कि मीडिया सही और वैज्ञानिक रूप से सटीक जानकारी प्रस्तुत करे। जानवर स्वतंत्र हैं, और यह महत्वपूर्ण है कि घबराहट पैदा न की जाए। सही जानवर की पहचान करना महत्वपूर्ण है। एक छोटी जंगली बिल्ली कोई बड़ा तेंदुआ नहीं है। जंगली बिल्लियाँ हर जगह घूमती रहती हैं और देखे जाने पर उन्हें बचाने की ज़रूरत नहीं होती है।'''' उन्होंने वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में खरपतवार और इनवेसिव (Invasive) प्रजातियों को हटाने सहित की गई विभिन्न पहलों के बारे में भी जानकारी दी

अनंत कुमार जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने कहा “हमने वन विभाग से एक सूचना संचार सेल बनाने का अनुरोध किया है जो वन्य जीव संरक्षण पहल और मानव वन्यजीव संघर्ष के रोक थाम के प्रयास बारे में प्रासंगिक और सटीक जानकारी देगा ताकि कोई गलत सूचना प्रसारित न हो।कार्यक्रम के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से मामले के अध्ययन के साथ उद्देश्य, विज्ञान और तथ्य आधारित समाचार रिपोर्टिंग की भूमिका और महत्व पर चर्चा हुई। सत्र में वरिष्ठ पत्रकार अभय मोहन झा का व्याख्यान भी शामिल था।

नेहा सिन्हा, प्रमुख, नीति और संचार, ने आदमखोर घोषित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर प्रोटोकॉल दिखाते हुए कहा, “हर जंगली जानवर आपराधि, हत्यारा और चोर नहीं होता है। हर बाघ आदमखोर नहीं होता. आइए हम वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत करने का प्रयास करें और घटनाओं के सही क्रम (scientific evidence) का पता लगाएं ताकि हम लोगों और वन्य जीव दोनों के प्रति सम्मानजनक हो सकें। हम पता लगा सकते हैं कि संघर्ष के दौरान कौन से सबूत एकत्र किए गए थे, सही प्रक्रियाओं फॉलो हुवा की नहीं के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं। हम मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व की दिशा में बिहार की उपलब्धियों पर कहानियाँ भी लिख सकते हैं।

कमलेश के मौर्य, लैंडस्केप समन्वयक, तराई आर्क लैंडस्केप ने कहा, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया वाल्मिकी टाइगर रिजर्व सहित तराई में वन्यजीव संरक्षण के लिए वन विभाग और प्रमुख हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। संरक्षण के दृश्टिकोण से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की बहुत महत्ता रही है। यह टाइगर रिजर्व नेपाल के चितवन नेशनल पार्क एवं परसा नेशनल पार्क, तथा उत्तर प्रदेश राज्य के सोहागीबरवा वन्यजीव अभयारण्य से जुड़कर संयुक्त रूप से लगभग 4000 वर्ग किमी के क्षेत्रफल के जंगल का महत्वपूर्ण हिस्सा है ।

हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल हक़ /चंदा

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