बिहार सरकार के सुझाव पर केन्द्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति’ कार्यान्वित हो रही: विजय  चौधरी

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बिहार सरकार के सुझाव पर केन्द्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति’ कार्यान्वित हो रही: विजय  चौधरी


पटना, 30 अगस्त (हि.स.)। राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने शुक्रवार कहा कि बिहार सरकार के सुझाव पर ही केन्द्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति’ कार्यान्वित हो रही है, जिससे जल प्रबंधन एवं नियंत्रण के कारगर उपाय संभव हैं।

विजय चौधरी ने सूचना भवन के संवाद कक्ष में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत गंगा जल आपूर्ति योजना का कार्यान्वयन 4,515.70 करोड़ की लागत से कराया गया है, जिससे राजगीर, गया, बोधगया तथा नवादा शहरों में सफलतापूर्वक निर्बाध घरेलू उपयोग के लिए जल आपूर्ति की जा रही है।

विजय चौधरी ने कहा कि औरंगाबाद, डिहरी एवं सासाराम शहरों के लिए सोन नदी में उपलब्ध सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य 1,347.32 करोड़ की लागत से कराया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत इन्द्रपुरी बराज के डाउन स्ट्रीम में आवश्यक जल के भण्डारण के लिए 1874 में निर्मित परित्यक्त एनीकट (वीयर) का आधुनिकीकरण किया जायेगा तथा इसकी सहायता से इन्द्रपुरी बराज के नीचे छोड़े जाने वाले अधिशेष जल का भण्डारण कर इसका उपयोग पेयजल के लिए किया जाएगा। यह योजना दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।

मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि भभुआ एवं मोहनियॉं शहरों के लिए सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य 198.58 करोड़ रुपये की लागत से कराने के लिए कार्रवाई की जा रही है। जल संसाधन विभाग के द्वारा मूल रूप से 604 योजनाओं को चयनित कर 1.19 लाख हेक्टेयर सिंचाई योग्य भूमि को पुर्नस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरुद्ध 594 योजनाओं को पूर्ण कर 1.18 लाख हेक्टेयर सिंचाई योग्य भूमि को पुर्नस्थापित किया गया है, जो अपने लक्ष्य का 99.52 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य में वृहद् एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से कुल सृजित हो सकने वाली क्षमता 53.53 लाख हेक्टेयर के विरुद्ध मार्च 2023 तक 37.3824 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन हुआ था।

मृतप्राय नदियों-धारों का पुनर्उद्धार कार्य

कोसी नदी को मेची नदी से जोड़ने का प्रस्ताव है। इस कार्य के लिए पूर्वी कोसी मुख्य नहर के 0.00 किलोटमीर से 41.30 किलोमीटर तक रिमोडलिंग तथा 41.30 किलोमीटर से 117.50 किलो.तक का विस्तारीकरण कार्य किया जाना है।

बागमती-शांतिधार-बूढ़ी गंडक लिंक योजना

इस योजना के तहत 425 क्यूमेक (15,000 क्यूसेक) जलश्राव के लिए रूपांकण के अनुसार तथा सुरक्षात्मक कार्य सहित शांतिधार के माउथ पर घोघराहा ग्राम के निकट सोरमारहाट-हायाघाट तटबंध पर एक अदद् एण्टी फ्लड स्लूईस का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। योजना के कार्यान्वयन से बागमती नदी के अधिशेष जल को बूढ़ी गंडक नदी में प्रवाहित कर बागमती से उत्पन्न होने वाली बाढ़ की स्थिति में सुधार हो सकेगी। इसे जून 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है।

गंडक-अकाली नाला (छाड़ी)-गंडकी-माही-गंगा नदी जोड़ योजना

गंडक-अकाली नाला (छाड़ी)-गंडकी-माही-गंगा नदी जोड़ योजना गंडक नदी को गंगा नदी से जोड़ने के प्राथमिक उद्देश्य के लिए प्रस्तावित है, जिसके अन्तर्गत गंडक नदी के अधिशेष जल को छाड़ी नदी-गंडकी नदी-माही नदी के माध्यम से गंगा नदी में प्रवाहित किया जायेगा।

बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य

कमला बलान बायॉ तटबंध एवं दायॉ तटबंध का उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं पक्कीकरण का कार्य फेज-2 जो मधुबनी जिलान्तर्गत मधेपुर प्रखंड एवं दरभंगा जिलान्तर्गत किरतपुर प्रखंड, घनश्यामपुर प्रखंड तथा गौड़ा बौराम प्रखंड के लगभग 12 लाख की आबादी को दुष्प्रभावों से राहत मिल सकेगी। इसे नवम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी

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