टीबी प्रीवेंशन ट्रीटमेंट पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
किशनगंज,29अगस्त(हि.स.)। टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो म्यकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है। यह रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है।
सदर अस्पताल स्थित एएनएम स्कूल प्रांगन में सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन गुरुवार को किया गया। इस कार्यक्रम में जिले के स्वास्थ्य विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य टीबी की भयावहता को उजागर करना और इसके प्रभावी उपचार के लिए ठोस कदम उठाने पर विचार-विमर्श करना था।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि भारत में टीबी की स्थिति चिंताजनक है। वैश्विक टीबी मामलों का लगभग 27% हिस्सा भारत में पाया जाता है, जो इस रोग की व्यापकता और गंभीरता को दर्शाता है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं, और उनमें से कई लोग समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। टीबी के मामलों में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधक क्षमता का बढ़ना भी एक गंभीर चुनौती है, जो इस रोग के इलाज को और अधिक जटिल बना देता है।
उन्होंने बताया कि तपेदिक के बारे में व्याप्त मिथकों और भ्रांतियों को दूर करने की सख्त जरूरत है। कई लोग इस बीमारी को कलंक मानते हैं, जिसके कारण वे इसका इलाज करवाने से कतराते हैं। ऐसे में, लोगों को शिक्षित करना और उन्हें सही जानकारी प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। जिला यक्षमा रोग पदाधिकारी डा. मंजर आलम ने तपेदिक के प्रिवेंशन ट्रीटमेंट के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की।
हिन्दुस्थान समाचार / धर्मेन्द्र सिंह
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