आरएम कॉलेज में डॉ भवानंद मिश्र रचित तीन पुस्तक का हुआ विमोचन
सहरसा,20 दिसंबर (हि.स.)।राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में आईक्यूएसी, देवता निभा राजनारायण फाउंडेशन और नव जागरण मंच के तत्वावधान में इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ भवानंद मिश्र की रचित ''वैदिक और बौद्ध साहित्य के संदर्भ में कौटिल्य और अशोक'', ''भारतीय संस्कृति में संत लक्ष्मीनाथ गोसाई'' और ''भारतीय प्राचीन ग्रंथों की प्रासंगिकता'' पुस्तक का विमोचन किया गया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो डॉ ज्ञानंजय द्विवेदी, बिहार के पूर्व डी जी राकेश कुमार मिश्रा, पूर्व प्रधानाचार्य प्रो डॉ रेणु सिंह, नगर निगम मेयर बैन प्रिया, एवं आइक्यूएसी समन्वयक डॉ. ललित नारायण मिश्र इत्यादि ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य अतिथियों का सम्मान के बाद दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर आइपीएस राकेश मिश्रा ने कहा कि भारत की हिंदू संस्कृति वास्तव में वैदिक अथवा सनातन संस्कृति और बौद्ध धर्म की साझी संस्कृति है। हमारी संस्कृति की गरिमा इसी से समझी जा सकती है कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा धनानंद से अपनी सुरक्षा की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि आज राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए धर्म का गलत प्रयोग और धार्मिक विभेद भी कर रहे हैं जो देश के लिए घातक है। बीएन मंडल के पुर्व कुलपति ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा भारतीय संस्कृति हमारे पूर्वजों की धरोहर है। यह अपने आप में परिपूर्ण है जो भारतीय संस्कृति में परंपरा, पर्यावरण दृष्टिकोण, वैज्ञानिकता इन सभी का समावेश करती है । इस दिशा में मानव जाति को सकारात्मकता से आगे बढ़ने की जरूरत है।
पूर्व प्रधानाचार्या प्रो. रेणु सिंह ने कहा कि आज के युग में लोग पठन-पाठन से विमुख हो रहे हैं जिसके कारण लेखन का कार्य भी बंद हो गया है। आज के इस परिवेश में डॉ. भवानंद ने यदि तीन तीन पुस्तकों की रचना की है तो यह बड़ी उपलब्धि है। आइक्यूएसी कॉडिनेटर डॉ ललित नारायण मिश्र ने कहा कि आज जरूरत है अपने विचारों को लिपिबद्ध कर पुस्तक के रूप में परिणत कर अपने आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित करने की।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय
/गोविन्द
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