बेगूसराय में सांस लेने पर आफत, सोमवार को एक्यूआई पहुंचा 401 पर
बेगूसराय, 13 नवम्बर (हि.स.)। बिहार की औद्योगिक राजधानी और तेजी से विकसित हो रहे बेगूसराय में प्रदूषण की स्थिति जानलेवा होती जा रही है। सोमवार को बेगूसराय में प्रदूषण का पैमाना 401 एक्यूआई मापा गया है जो काफी गंभीर समस्या है। इसके कारण धूल कण और प्रदूषण से सांस की बीमारी सहित कई अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
चिकित्सकों का कहना है कि जीवन के लिए हवा जरूरी है और घर से बाहर निकलने से रोकने के लिए मजबूर कर रही है। घर से बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करना चाहिए, पेड़ पौधे लगाने की संख्या बढ़ाने से ही उसका कुछ भी हो सकता है। वायु प्रदूषण का यह खतरनाक स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। पीएम 2.5 हवा में मौजूद ऐसे धूल कण हैं जो सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
प्रदूषण की समस्या को लेकर लगातार लोगों को जागरूक कर रहे शिवप्रकाश भारद्वाज ने बताया कि मच्छर की आबादी बहुत ज्यादा हो गई है। किसान पशु को सुरक्षित रखने के लिए धुआं का सहारा लेते हैं। घरों में मच्छर से बचने के लिए भी कोई ना कोई केमिकल या धुआं का उपयोग हो रहा है। निर्माण कंपनी को सख्त हिदायत देकर मिट्टी को समेटा जा सकता है। रुका हुआ या धीरे चलते गाड़ी से अत्यधिक प्रदूषण फैलाता है। खतरनाक हो रहे हवा के स्तर को ठीक करने के लिए प्रशासन के साथ आम जनों को भी पहल करनी होगी।
बताया जा रहा है कि एक्यूआई शून्य से 51 से एक संतोषजनक, 101 से दो सौ मध्यम, 201 से तीन सौ खराब, 301 से चार सौ बेहद खराब तथा 401 से पांच सौ गंभीर श्रेणी में आता है। ऐसे में बेगूसराय का प्रदूषण स्तर 401 पर पहुंचना काफी चिंताजनक स्थिति है। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट मोड में है। विगत नौ नवम्बर को हुई प्रदूषण समिति की बैठक में डीएम रोशन कुशवाहा ने प्रदूषण की समस्या को लेकर चिंता जताई तथा रोकने के उपाय पर बल दिए गए हैं।
बैठक में डीएम ने कहा है कि ठंड का मौसम शुरू हो रहा है, जिसमें प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिये सभी संबंधित विभागों को आपसी समन्वय बनाकर कार्य कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट एवं नेशनल ग्रीन प्राधिकरण के निर्देशों का अक्षरश: अनुपालन करना है। पी.एम. 2.5 आकार के प्रदूषक तत्व हमारे लिए सबसे अधिक खतरनाक हैं तथा इसे रोकना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
जल रहे कूड़े को तुरंत बुझाया जाए। निर्माण स्थल पर धूल रोकने के लिए पर्दा का उपयोग हो। निर्देशों का पालन नहीं करने पर जुर्माना के साथ एफआईआर कराया जाएगा। अस्पताल से निकले प्लास्टिक कचरे का सही निस्तारण नहीं करने पर अस्पतालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। एनएचएआई एवं आईओसीएल निर्माण से हो रहे प्रदूषण को रोकें। खनन पदाधिकारी ईंट-भट्टों एवं बालू कारोबारी द्वारा किए जा रहे प्रदूषणों पर रोक लगाएं। ढ़ाबा एवं चाय दुकानों में प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कोयला का उपयोग रोकने का आदेश दिया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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