प्रमंडलीय पुस्तकालय में बाबा साहेब डाॅ.भीमराव अम्बेडकर का 67 वां परिनिर्वाण दिवस मनाया गया
सहरसा,06 दिसंबर (हि.स.)।प्रमंडलीय पुस्तकालय में बुधवार को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का 67 वां परिनिर्वाण दिवस मनाया गया।इस अवसर पर प्रमंडलीय पुस्तकालय के बीपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र छात्राएं तथा वाचनालय के निबंधित पाठकगण उपस्थित थे।
बाबा साहेब के चित्र पर सर्व प्रथम भूमिसुधार उप समाहर्ता ललित कुमार सिंह एवं लेखक मुक्तेश्वर मुकेश द्वारा पुष्प माला से श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। तत्पश्चात बारी बारी से उपस्थित लोगों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।इस अवसर पर डा भीम राव अम्बेडकर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए मुक्तेश्वर मुकेश ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब एक विस्तृत विजन प्रस्तुत करने वाले अर्थशास्त्री भी थे।उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक का ब्लू प्रिंट तैयार किया।साथ ही विश्व के जाने माने अर्थ शास्त्री आर्थर लुईस से तीन दशक पहले कृषि में सुधार लाकर औद्योगिकीकरण पर जोर दिया। जिससे बेरोजगारी दूर किया जा सकता है।महिला सशक्तिकरण की उनकी परिकल्पना इन विचारों में देखा जा सकता है-मैं समाज की प्रगति को उस प्रगति से नापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की हो। अम्बेडर जी ने महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा दिलाने के लिए देश के पहले कानून मंत्री के रूप में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की नींव रखकर इतिहास रचा।
ललित कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा बाबा साहब डाक्टर अम्बेडर ने ही पहली बार मील मालिक ,सरकार और श्रमिकों के बीच संतुलन स्थापित कर शिफ्ट में काम के आठ घंटे निर्धारित कराया था जो मानवीय शोषण से आज भी सुरक्षा दे रहा है।महिला और पुरूष श्रमिकों को समान वेतन और सवेतन अवकाश देने की सिफारिश की थी।अन्त में सभी छात्रों, पाठकों ने बाबा साहेब के रास्ते पर चल समाज के विकास में लगने के आह्वान के साथ परिनिर्वाण दिवस का समापन हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा
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