तालाब निर्माण के नाम पर खेल: तारडीह प्रखंड दरभंगा में में सरकारी योजना पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

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दरभंगा, 25 दिसंबर (हि.स.)। जिले में तारडीह प्रखंड अंतर्गत ककोढ़ा पूर्वी पंचायत के ककोड़ा गांव में जिला पार्षद की ठेकेदारी में चल रहे पोखर निर्माण कार्य पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह निर्माण न तो पारदर्शिता के साथ कराया जा रहा है और न ही बिहार सरकार द्वारा निर्धारित मानकों का पालन किया जा रहा है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण स्थल पर अब तक कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है। जबकि सरकारी नियमों के अनुसार योजना का नाम, स्वीकृत राशि, कार्य अवधि और कार्यदायी एजेंसी का विवरण सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य है। सूचना बोर्ड का अभाव अपने-आप में संदेह को जन्म देता है।

स्थानीय लोगों के अनुसार पोखर निर्माण में उपयोग की जा रही ईंटें अत्यंत घटिया किस्म की हैं, जो तीसरे दर्जे से भी नीचे की प्रतीत होती हैं। वहीं सीमेंट, बालू और लोहे के उपयोग को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सरकारी पोखर अथवा जलस्रोत निर्माण में मजबूत ईंट, निर्धारित अनुपात में सीमेंट-बालू और आवश्यक संरचनात्मक लोहे का प्रयोग अनिवार्य होता है, लेकिन ककोड़ा गांव में इन मानकों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी योजना को केवल औपचारिकता बनाकर काम कराया जा रहा है और असल मकसद धन की बंदरबांट का है।

चर्चा है कि घटिया सामग्री का उपयोग कर लागत बचाई जा रही है और इसी के जरिए अवैध कमाई की जा रही है। यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो मामला केवल ठेकेदार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसमें विभागीय अभियंता, प्रखंड स्तरीय अधिकारी और निगरानी व्यवस्था की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ जाती है।

बिहार सरकार के निर्माण एवं वित्तीय नियमों के अनुसार किसी भी सरकारी कार्य में गुणवत्ता नियंत्रण, नियमित तकनीकी निरीक्षण और जवाबदेही अनिवार्य है। नियमों के उल्लंघन की स्थिति में ठेकेदार पर भुगतान रोक, जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग और संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। इसके बावजूद बिना सूचना बोर्ड के काम चलना और निर्माण गुणवत्ता पर उठते सवाल यह संकेत देते हैं कि या तो निगरानी व्यवस्था निष्क्रिय है या फिर जानबूझकर आंख मूंद ली गई है।

पोखर जैसे जलस्रोत गांव के लिए केवल एक विकास कार्य नहीं, बल्कि जल संरक्षण, सिंचाई और पर्यावरण संतुलन से सीधे जुड़े होते हैं। ऐसे में घटिया निर्माण न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि भविष्य में जलस्रोत के क्षतिग्रस्त होने और दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ा देता है।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से पूरे मामले की निष्पक्ष तकनीकी जांच कराने, योजना से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक करने और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कब तक संज्ञान लेता है, या फिर यह भी तारडीह प्रखंड में सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और धन उगाही का एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / Krishna Mohan Mishra

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