मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान के चरणों में, होता है भाग्योदय : स्वामी चिदात्मन जी
बेगूसराय, 11 नवम्बर (हि.स.)। पर्व-त्योहारों के पावन माह कार्तिक में बिहार के बेगूसराय में स्थित पावन गंगा तट सिमरिया धाम में लगे राजकीय कल्पवास मेला का चप्पा-चप्पा भक्ति रस में सराबोर है। कहीं कार्तिक महात्म्य हो रहा है तो कहीं श्रीमद् भागवत और रामचरितमानस का पाठ चल रहा है।
मिथिला और बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्से एवं नेपाल से आकर रह रहे कल्पवासी पूरी तरह से अध्यात्म और भक्ति में लीन हैं। सूर्योदय काल में गंगा स्नान के साथ शुरू उनकी दिनचर्या देर शाम दीप दान के बाद गंगा महाआरती के साथ समाप्त होती है। इस दौरान सिमरिया के सभी मठ-मंदिर ही नहीं, कल्पवास क्षेत्र में लगे खालसा सहित अन्य जगहों पर शास्त्र, वेद, पुराण का पाठ हो रहा है।
शनिवार को सर्वमंगला सिद्धाश्रम में कार्तिक महात्म्य एवं श्रीमद्भागवत कथा के दौरान स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि कुछ लोग तुलसी को साधारण पौधा समझते हैं। लेकिन तुलसी में इतना गुण है कि सभी बीमारियों को समाप्त कर देता है, भक्ति भाव से पूजा करने वालों को इष्ट की प्राप्ति कराता है। भारतीय संस्कृति कहता है कि अतिथि देवो भवः, हमें अपने घर आए अतिथियों का सामर्थ्य के अनुसार सेवा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि श्रद्धा, भक्ति और विश्वास ही सद्गति की दिलाता है। पूर्व जन्म के पुण्य के कारण हम मानव बने हैं और इस जन्म में भी पुण्य अर्जित करें, ताकि अगला जन्म भी सुखमय हो। चित्रगुप्त महाराज सब कुछ देख रहे हैं, लिख रहे हैं, इसलिए अपने कर्तव्य पथ और पुण्य पथ से कभी विमुख नहीं होना चाहिए। गंगा सागर में सागर से गंगा मिलती है। प्रयाग में यमुना गंगा से मिलती है और सिमरिया में गंगा और गंगा का संगम है।
संगम स्थल सभी तीर्थ का राजा होता है और यहां स्नान करने से मोक्ष मिलता है, दस गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। भारत में सात मोक्षदायिनी नदी है, गंगा, यमुना, कावेरी, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी और सिंधु। जहां पुण्यात्मा जाकर तपस्या करते हैं वह तपोवन बन जाता है, जिस भूमि पर तपस्या करते हैं वह तपोभूमि बन जाती है। सौभाग्यशाली हैं हम की गंगा और गंगा के संगम स्थल सिमरिया के रामघाट पर कथा कह और सुन रहे हैं।
चिदात्मन जी ने कहा कि कथा सुनने से भाग्योदय कौन रोक सकता है। प्रकृति का नियम है दिन-रात, सुख-दुख, इसे स्वीकारना चाहिए। वेद के अनुसार ही सभी माह में अलग-अलग पर्व होते हैं। इसमें पूजा और आराधना हमारी संस्कृति है। सच्चा सुख केवल भगवान के ही चरणों में मिलता है, इसलिए हमें भगवान भक्ति में सदैव तल्लीन रहना चाहिए। मौके पर रविन्द्र जी ब्रह्मचारी ने भी कार्तिक माहत्म्य, श्रीमद्भागवत और सनातन धर्म के विभिन्न पहलुओं से रूबरू कराया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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