मंजरों पर फफुंदनाशी दवा का छिड़काव करने पर आम उत्पादन में होगी वृद्धि : कृषि वैज्ञानिक

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मंजरों पर फफुंदनाशी दवा का छिड़काव करने पर आम उत्पादन में होगी वृद्धि : कृषि वैज्ञानिक


मंजरों पर फफुंदनाशी दवा का छिड़काव करने पर आम उत्पादन में होगी वृद्धि : कृषि वैज्ञानिक


सहरसा,01 अप्रैल (हि.स.)।जिले में इस वर्ष आम के वृक्षों में भरपूर मंजर आया है। करीब एक सप्ताह पूर्व तेज हवा के साथ बारिश होने से मंजरों को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा है। फिर भी लोगों को उम्मीद है कि इस वर्ष आम का बेहतर उत्पादन होगा।

विशेषज्ञों की मानें तो आम की फसल को बचाने एवं गुणवत्ता युक्त फसल पाने के लिए समय-समय पर दवाओं का छिड़काव आवश्यक है।जिले सहित इलाके के लोगों का मुख्य फल आम है।जिस कारण इस क्षेत्र में वृहद पैमाने पर आम की खेती होती है। जो खेती नहीं करते हैं वे अपने घर के आगे अथवा पीछे आम का पौधा लगाकर आम का स्वाद लेते हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन एवं अन्य कारकों के कारण अपेक्षा के अनुरूप आम का उत्पादन नहीं हो पाता है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो सही तरीके से देखभाल नहीं होने के कारण उत्पादन प्रभावित होता है।

पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक राजीव कुमार रजक बताते हैं कि ऐसा देखा जाता है कि भरपूर मंजर आने के बाद भी मंजरों की सुरक्षा नहीं होने के कारण उत्पादन बहुत कम हो जाता है। मंजरों पर मधुआ कीट,दहिया कीट,पाउडरी मिल्ड्यु और एन्थ्रैकनौज जैसी व्याधियों का मुख्य रूप से आक्रमण होता है। इससे बचाव के लिए तीन छिड़काव करनी चाहिए।

दवाओं के छिड़काव के संबंध में सहायक निदेशक ने बताया कि पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले किसी एक अनुशंसित कीटनाशी से किया जाना चाहिए। पहला छिड़काव इस तरह किया जाना चाहिए कि कीटनाशी पेड़ की छाल के दरारों में छुपे मधुआ कीट तक पहुंचे,क्योंकि मधुआ कीट तापमान में वृद्धि होने से अपनी संख्या बढाने में लग जाती है। दूसरा छिड़काव मंजरों में मटर के बराबर दाना लग जाने पर करनी चाहिए। दूसरे छिड़काव में कीटनाशी के साथ साथ किसी एक फफूंदनाशी को अवश्य मिलाना चाहिए। यह मंजर को पाउडरी मिल्ड्यु और एन्थ्रैकनौज रोग से सुरक्षित रखता है। साथ ही इस घोल में नेपथाईल एसीटिक एसीड भी मिलाया जाना चाहिए। यह फलों को गिरने से रोकता है। टिकोला मटर के दाना के बराबर हो जाने पर तीसरा छिड़काव करनी चाहिए।

तीसरे छिड़काव में कीटनाशी के साथ अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसीड के अलावा आवश्यकतानुसार एक फफूंदनाशी मिलाना चाहिए। कीटनाशी के तौर पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशल एसएल, डायमेथोएट 30 प्रतिशत ई सी,मालाथियॉन 75 प्रतिशत ईसी,एसीफेट 75 प्रतिशत एसपी का प्रयोग किया जा सकता है। जबकि फफूंदनाशी के तौर पर सल्फर 80 प्रतिशत धु चू ,कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रति धु चू कार्बेंन्डाजिम 50 प्रतिशत धु चू का प्रयोग किया जा सकता है। किसान किसी एक कीटनाशी या फफुंदनाशी का प्रयोग कर सकते हैं।सहायक निदेशक ने बताया कि मंजर के समय बुंदा बादी हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डिाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव अवश्य करना चाहिए। दहिया कीट नियंत्रण हेतु कीटनाशी के तैयार घोल में स्टीकर अवश्य मिलाना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा

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