बेगूसराय में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का श्रीहरि कथा शुरू

बेगूसराय में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का श्रीहरि कथा शुरू
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बेगूसराय में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का श्रीहरि कथा शुरू


बेगूसराय में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का श्रीहरि कथा शुरू


बेगूसराय, 10 दिसम्बर (हि.स.)। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा जिला मुख्यालय के बीपी स्कूल परिसर में आज से पांच दिवसीय श्रीहरि कथा की शुरुआत भव्य कलश शोभायात्रा से किया गया। शोभा यात्रा हेमरा चौक मटिहानी रोड से नंदग्राम से बीपी स्कूल, गायत्री मंदिर, नौलखा मंदिर, काली मंदिर, प्रमिला चौक, रतनपुर चौक, हेमरा चौक होते हुए पुनः कथा स्थल पहुंचा।

श्रीहरि कथा का शुभारंभ कलश यात्रा एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कथा के प्रथम दिन आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी अमृता भारती ने आध्यात्मिक विवेचना से परिपूर्ण श्रीहरि कथा का वाचन करते हुए कहा कि प्रभु का दशावतार मुख्य रूप माना जाता है। श्रीहरि का धरा पर प्रकटीकरण का यूं तो अनेकों कारण है और सभी परम विलक्षण है। त्रेता में भगवान राम ने जहां वन प्रदेश में छिपे दैत्यों का वध किया।

उन्होंने हनुमान और तारा जैसे भक्तों को विमल विलोचन प्रदान कर अपने विराट रूप का दर्शन भी कराया था। द्वापर में एक तरफ श्रीकृष्ण ने पूतना, कंस, शिशुपाल आदि प्रवृत्तियों का नाश किया। वहीं, कुरुक्षेत्र की भूमि में अर्जुन को दिव्य दृष्टि द्वारा विराट रूप का दर्शन भी कराया। समय चक्र घूमता रहा कलयुग आते-आते राक्षसी प्रवृत्तियां किसी खास वर्ग तक सीमित नहीं रही। बल्कि समस्त नर-नारियों के हृदय को कलुषित करने लगी।

साध्वी ने कहा कि प्रभु की कथा में छिपे बहुमूल्य सूत्र ना केवल वृद्ध वर्गों के लिए अपितु युवाओं और बच्चों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कथा में स्वामी श्रीयादवेंन्द्रानंद ने कहा कि आज के इस युग में इंसान बौद्धिक विकास, मानसिक विकास, शारीरिक विकास की ओर तो जागरूक है। लेकिन, आत्मिक विकास के अभाव में इंसान पतन की ओर जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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