03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रा शुरू,12 अक्टूबर को विजयादशमी : पंडित तरुण झा
सहरसा, 01 अक्टूबर (हि.स.)। कोसी क्षेत्र के विख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू है। इसी तिथि से शक्ति की साधना और आराधना शुरू हो जाएगी।
शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से 12 अक्तूबर तक रहेगी, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और अंतिम दिन विजयादशमी एवं विसर्जन होता है।कलश स्थापन वैसे तो दिन के 03 बजे तक़ की जा सकती है लेकिन अति विशिष्ट मुहूर्त प्रातः काल जो अमृत योग में है वो प्रातः 06.07 से 07.37 तक़ अति उत्तम एवं प्रातः 10.05 से 03 बजे दोपहर तक़ उत्तम है।
पंडित तरुण झा ने बतलाया की मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार इस वर्ष चतुर्थी की वृद्धि है तथा नवमी तिथि की क्षय है।सप्तमी वेध अष्ट्मी विहित नहीं है।इसलिए महाअष्ट्मी तथा महानवमी की संधि पूजा एवं व्रत शुक्रवार 11 अक्टूबर को ही होगा।जबकि निशा पूजा 10 अक्टूबर की रात में होगी।
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन दोलायां: भगवत्या आगमनं फलं मरण ध्रुवम पालकी,डोली की सवारी के साथ होगा, एवं गमन चरणायुध यानकारी विकला,मुर्गा पर होगा।नवरात्रि पर दुर्गा उपासना, पूजा,उपवास और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है, साथ हीं दुर्गा सप्तसती का एक अध्याय हीं सही,आरती एवं देवी क्षमा प्रार्थना हर घर में होना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी बताते है कि कलौ चंडी महेश्वरो इस कलयुग मे देवी चंडी, दुर्गा और महादेव कि उपासना हमेशा कल्याणकारी होगी।इस बार गुरुवार को मां दुर्गा पालकी डोली पर सवार होकर आ रही हैं, देवी पुराण के अनुसार, जब गुरु-शुक्र को देवी का आगमन होता है,देवी का वाहन पालकी डोली होता है, माता के पालकी पर सवार होने का मतलब है रोग,शोक की सम्भावना होती है। वहीं चरणायुध यानकरी विकला मुर्गा के गमन के कारण विकलता का द्योतक है।
विशेष मंत्र : -सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।मंगल कामना के इस मंत्र का जप अवश्य करें
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार
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