बिना प्रमाणीकरण के न्यूज चलाना या आगे फारवर्ड करना कानूनी अपराध : डीपीआरओ
कटिहार, 15 फरवरी (हि.स.)। आगामी लोकसभा आम निर्वाचन-2024 की तिथि की घोषणा हुए बगैर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फेक न्यूज वायरल कर चुनाव की तिथि घोषणा के संबंध में जानकारी फैलाई जा रही है, जो पूर्णतः फेक एवं भ्रामक है। गुरुवार को जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी चंदन सिंह ने बताया कि इस प्रकार से किसी भी न्यूज को बिना प्रमाणीकरण के चलाना या आगे फारवर्ड करना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे फेक न्यूज को बिना किसी प्रमाणीकरण के चलाने/आगे फारवार्ड करने से बचना चाहिए।
डीपीआरओ ने कहा कि फेक न्यूज आम तौर पर किसी व्यक्ति अथवा संस्था या किसी व्यक्ति को नुकसान पहुचांने के इरादे से तैयार की गई न्यूज है। फेक न्यूज का मकसद केवल छवि को नुकसान पहुंचाना ही नहीं बल्कि गलत चीजों का प्रवाह भी है। आम तौर पर फेक न्यूज में ऐसी चीजों या ऐसे कंटेंट को शामिल किया जाता है, जिसमें गलत चीजों का प्रसार कराया जा सके या लोगों को भ्रमित किया जा सके।
चंदन सिंह ने कहा कि पहली नजर में फेक न्यूज को सच समझने की भूल हम कर बैठते हैं और इससे फेक न्यूज फैलाने वालों का मकसद पूरा हो जाता है। सामान्य तौर पर फेक न्यूज का कांउटर समय पर नहीं होने एवं डिजिटल माध्यमों के असीमित प्रसार के चलते यह तेजी से वायरल हो जाता है और हमारी इमेज बुरी तरह प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि एनसीआरबी यानी नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के वर्ष 2020 में आईपीसी की धारा 505 के तहत फर्जी, झूठी खबर, अफवाह का प्रसार करने वालों के खिलाफ दर्ज मामले की संख्या में काफी वुद्धि दर्ज की गई है।
डीपीआरओ ने कहा कि फेक न्यूज से निपटने, रोकथाम व नियंत्रण करने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किये जा रहे है और कई प्रकार के अधिनियम व भारतीय दंड संहिता भी बनाये गये हैं। इसलिए इस प्रकार के फेक न्यूज पर रोक लगाना आवश्यक है।
हिन्दुस्थान समाचार/विनोद/चंदा
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