रसायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से खेत में घट रही जैविक कार्बन
-परसौनी कृषि विज्ञान केन्द्र में विश्व मृदा दिवस का आयोजन
पूर्वी चंपारण ,05 दिसम्बर (हि.स.)। कृषि विज्ञान केन्द्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ.आशीष राय ने विश्व मृदा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में मंगलवार को बताया कि रसायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से न केवल पर्यावरणीय संकट बढ रहा है, बल्कि खेतों में जैविक कार्बन की मात्रा भी घट रही है।
डॉ.आशीष राय ने विश्व मृदा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों को बताते हुए कहा कि केन्द्र द्धारा मिट्टी की हो रही जांच के आधार पर ऐसा सामने आया है, कि किसान भाईयों के द्धारा अधिक उपज की लालसा में बेतहाशा रसायनिक उर्वरक व कीटनाशक का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे मिट्टी में न्यूनतम जैविक कार्बन की मात्रा 0.5 प्रतिशत से भी कम दर्ज की जा रही है। जबकि मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा कम से कम 0.75 प्रतिशत या उससे ऊपर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विगत दो तीन दशक में रासायनिक खेती व ट्रैक्टर से खेत की जुताई का प्रचलन बढा है। जिस कारण मिट्टी के मित्र माने जाने वाले केंचुए व अन्य लाभदायक जीवाणुओं का तेजी से क्षरण हो रहा है । ऐसे में किसान को एक बार पुन: प्राकृतिक खेती की ओर रुख करना होगा।
डॉ.राय ने बताया कि प्रति ग्राम स्वस्थ मिट्टी अपने मूल स्वरूप में करोड़ों की संख्या में जीवाणु को साथ रखती है जो अपनी क्रियाओं से आवश्यक पोषक तत्वों को जमीन में गहराई से ऊपर लाकर भूमि को उपजाऊ बनाती है जबकि कुछ पोषक तत्व का लेग्युमिनस रूट्स और मल्चिंग से आपूर्ति होती है।
उन्होंने कहा कि इन जीवाणुओं को रसायनिक खाद के उपयोग ने काफी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में इनकी संख्या बढाने के लिए देशी गाय के गोबर के साथ प्राकृतिक रूप से तैयार पंचगव्य,जीवामृत,घनजीवामृत बीजामृत सहित अन्य साधनों का प्रयोग जरूरी है। उन्होंने बताया कि देशी गाय के एक ग्राम गोबर में करोड़ों लाभकारी जीवाणु होते हैं। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डाॅ जीर विनायक, डाॅ उदय गुर्जर, डाॅ दिव्या कुमारी, डाॅ सुनीता कुमारी ने भी अपने विचार प्रकट किए। मौके पर अजय झा, चुन्नू कुमार सहित बड़ी संख्या किसान उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/गोविन्द
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