रमजान नदी के सौंदर्याकरण में न तो अतिक्रमण हटा, न ही जीर्णोद्धार हो सका पूरा
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किशनगंज,09जुलाई(हि.स.)। शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली रमजान नदी पर लगा ग्रहण थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2006 से रमजान नदी की मूलधारा वापस करने एवं इसकी सौंदर्गीकरण का प्रयास होता रहा है लेकिन अबतक इसमें सफलता हासिल हो नही पाई है। वर्ष 2005-06 से इस नदी को अतिक्रमण मुक्त करने की अभियान जारी है, लेकिन अतिक्रमण मुक्त करना तो दूर अबतक एक इंच जमीन भी खाली नहीं हो पाया। उल्टे नदी की खरीद बिक्री आज भी जारी है।
बिहार की एकमात्र मुस्लिम नामकरण की यह रमजान नदी हिन्दू के आस्था का भी एक पवित्र जगह है। किसी भी हिन्दू धर्म स्थलों पर किसी भी पवित्र कार्य से पहले कलश यात्रा की पानी इसी नदी से ली जाती है। छठ पर्व में छठ व्रती इसी नदी में खड़ी होकर सूर्य की उपासना करते हैं। इसके बावजूद इसकी सफाई सुदृढ नहीं हो पाई है।
ग़ौरतलब हो कि सीमांचल के गांधी के रूप में प्रख्यात पूर्व सांसद मो. तस्लीमुद्दीन ने सबसे पहले यहां इस नदी की कायाकल्प करने की गाथा लिखी थी ा। उनके प्रयास से वर्ष 2008 में नमामि गंगे योजना के तहत जिले को 33 करोड़ रुपया का आवंटन मिला था। इस राशि से नदी की साफ सफाई, सौन्द्रीयकरण एवं नदी के दोनों ओर फलदार व छायादार पेड़ लगाने की योजना बनाई गई थी लेकिन यह राशि जिले से वापस चली गयी। इस राशि को पटना में होने वाले विकास कार्यों में खर्च कर दिया गया। नगर परिषद की ओर से एक बार फिर गाद निकालने की अभियान हाल ही में नगर परिषद द्वारा रमजान नदी की गाद निकालकर इसमे अविरल धारा वापस लाने की कवायद शुरू हुई थी।
इस अभियान के उद्घाटन में नगर परिषद अध्यक्ष के साथ ही वर्तमान डीएम तुषार सिंगला भी शामिल हुए थे। लेकिन इस मुहिम का हश्र और खराब साबित हुआ। आधे अधूरे कार्यों के बीच यह मुहिम चर्चा का केंद्र बन गया। अखबार की सुर्खियों में इस अभियान की धज्जियां उड़ने लगी। चूंकि इस कार्य के लिए न तो टेंडर हुई न ही योजना का चयन। नदी से निकलने वाली मिट्टी का भी खरीद फरोख्त पर कीच कीच के बाद यह कार्य भी रुक गया। नगर परिषद अध्यक्ष इन्द्रदेव पासवान ने कहा कि लघु सिंचाई विभाग के द्वारा इस नदी का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसका डीपीआर बनाकर लघु सिंचाई विभाग को भेजा गया है। इसपर 11 करोड़ राशि खर्च करने की योजना है।
हिन्दुस्थान समाचार / धर्मेन्द्र सिंह / चंदा कुमारी