रमजान माह के आखिरी अशरे में शब-ए-कद्र का विशेष महत्व:मौलाना जावेद

रमजान माह के आखिरी अशरे में शब-ए-कद्र का विशेष महत्व:मौलाना जावेद
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रमजान माह के आखिरी अशरे में शब-ए-कद्र का विशेष महत्व:मौलाना जावेद


पूर्वी चंपारण,02 अप्रैल(हि.स.)।पवित्र माह ए रमजान के अंतिम अशरे में आने वाली शब-ए-कद्र की अपनी एक फजीलत है।शब -ए-कद्र की रात इबादत और दुआओ की रात होती है।ऐसे में इस पावन अवसर पर रोजा रख इबादत करने वालो बंदो के लिए अल्लाह अपने सभी दरवाजे खोल देते है। उक्त बातें जमीअत उलेमा हिंद के जेनरल सेक्रेट्री व प्रसिद्ध उलेमा मौलाना जावेद आलम कासमी ने जारी एक बयान में आज कही।

उन्होंने कहा कि पहली शब-ए-कद्र की रात रविवार को थी।अगली शब-ए-कद्र की रात आज मंगलवार को है।उसके बाद गुरुवार, शनिवार, सोमवार व बुधवार की रात भी शब-ए-कद्र की रात होगी। उन्होने बताया कि रमजान के पहले अशरे की 19वीं, 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं व 29वीं रात को शब-ए-कद्र कहा जाता है।उन्होने कहा कि इस्लाम में रमजान के पवित्र महीनों में रोजा रखना व इबादत करना अल्लाह को काफी पसंद है।

उन्होने शब-ए-कद्र पर सारी रात लोगों ने इबादत करने और विशेष नमाज का आयोजन करने की गुजारिश करते कहा कि घरों के अलावा मस्जिदों व इबादतगाहों में सारी रात इबादत कर अल्लाह से अमन,शांति व संपन्नता के लिए दुआ करे।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा

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