शोध में गुणवत्ता और सार्थकता होनी जरूरी : डॉ सतीश चंद्र

-शोध से प्राप्त निष्कर्षों और सुझावों को सरकार के पास भेजिए: डॉ अंजनी कुमार झा
पूर्वी चंपारण,29 मार्च (हि.स.)। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दस दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला में शनिवार को शोध रिपोर्ट की संरचना पर केंद्रित सत्र का आयोजन हुआ। आज आठवें दिन के पहले और दूसरे तकनीकी सत्र में शिक्षाशास्त्र विभाग, भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर के डॉ सतीश चंद्र ने शोध रिपोर्ट के लेखन की रूपरेखा और संरचना पर प्रकाश डाला।
उन्होंने शोधार्थियों को बताया कि शोध कार्य के दौरान शोध की गुणवत्ता और उसकी सार्थकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए,क्योंकि शोध कार्य में गुणवत्ता ना होने से उसको पर्याप्त पहचान नहीं मिल पाता। इसके अलावा शोध के लिए निर्धारित प्रारूप का ही प्रयोग करना चाहिए। निर्धारित प्रारूप के अनुपालन ना होने से शोध की गंभीरता पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि, शोध में प्रयुक्त किए गए सभी तकनीकी शब्दों और पदों की व्याख्या करके उसके बारे में विस्तार से लिखना चाहि, जिससे कि भविष्य में शोध कार्य के पुनर्विलोकन में सरलता रहती है। तीसरे तकनीकी सत्र में वाणिज्य विभाग के डॉ सुब्रत रॉय ने शोध में प्रयोग होने वाले सांख्यिकीय उपकरणों को विस्तार से समझाया और बताया कि किस तरह सही उपकरणों के प्रयोग से शोधार्थी अपने शोध को त्रुटिरहित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त परिकल्पनाओं के निर्माण और शोध प्रश्नों को बनाने की तकनीकों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, शोध के उद्देश्यों के आधार पर ही शून्य एवं वैकल्पिक परिकल्पना का निर्माण किया जाता है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार