परित्यक्त कपड़े एवं जूट का सामान उत्पादन कर युवाओं को दे रहे स्वरोजगार

परित्यक्त कपड़े एवं जूट का सामान उत्पादन कर युवाओं को दे रहे स्वरोजगार
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परित्यक्त कपड़े एवं जूट का सामान उत्पादन कर युवाओं को दे रहे स्वरोजगार


सहरसा,08 जनवरी (हि.स.)।खादी ग्रामोद्योग द्वारा पटेल मैदान में दस दिवसीय मेला का आयोजन किया जा रहा है।इस मेले मे आए बिहार राज्य के पटना कुर्जी निवासी विश्वनाथ दास परित्यक्त कपड़े एवं जूट द्वारा रिसाइकलिंग कर विभिन्न वस्तुओ का निर्माण कर युवाओ को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।वही इनके द्वारा बनाये गए जूते-चप्पल काफी आरामदायक व पर्यावरण संरक्षक भी है।

उन्होंने बताया कि यह जूते-चप्पल पुराने होने पर इससे खाद्य बनाया जा सकता है।जिससे फसल उत्पादन में काफी वृद्धि होती है।बीएससी पास विश्वनाथ दास देश के सभी राज्यों द्वारा उद्योग विभाग के माध्यम से लगने वाले स्वरोजगार मेला व प्रदर्शनी में भाग ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह अब तक 200 से अधिक लोगों को इस रोजगार का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार उपलब्ध कराया है।

उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में चीन का माल सबसे सस्ता होने के कारण लोगों की पहली पसंद बनती है। जो टिकाऊ एवं मजबूत नहीं होने के कारण एक बार खरीदने के बाद लोग पश्चाताप करते हैं। लेकिन मेरे द्वारा उत्पादित समान टिकाऊ आरामदायक, सस्ता व इको फ्रेंडली होने के कारण लोगों के द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि बिहार के सभी जिलों में वह अपने द्वारा उत्पादित सामानों को बेरोजगार युवाओं को जोड़ने का आह्वान किया है।

उन्होंने कहा कि मैं 18 वर्षों तक स्टील फैक्ट्री में काम किया। लेकिन मेरा मन वहां नहीं लगा।जिस कारण मैंने जूूट द्वारा उत्पादित सामान की बिक्री करने लगा। इस दौरान मैंने चारों ओर पुराने कपड़े एवं जूते की वस्तुएं इधर-उधर गंदगी फैला रही है। जिसे मैं उन बेकार वस्तुओं को रीसाइक्लिंग कर कुटीर उद्योग के रूप में इसे चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे दो लड़के हैं जिसमें एक पायलट तथा एक इंजीनियर हैं।

उन्होंने कहा कि मेरी आयु बहुत हो चुकी है। मैं अपने सारे आइडिया और विचार लोगों को देना चाहता हूं।उन्होंने काम के लिए जिला प्रशासन से सहयोग की मांग की ताकि अधिक से अधिक बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध करा सके। उन्होंने बताया कि छात्रों के लिए 10% की छूट दी जा रही है। ज्ञात हो कि श्री दास द्वारा लोगों को रोजगार के माध्यम से आय का कुछ हिस्सा गरीब अनाथालय को दिया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा

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