विधिक सेवा शिविर का आयोजन

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विधिक सेवा शिविर का आयोजन


विधिक सेवा शिविर का आयोजन


विधिक सेवा शिविर का आयोजन


सहरसा,01 दिसंबर (हि.स.)।बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार,पटना के निर्देशानुसार संविधान दिवस के साप्ताहिक कार्यक्रम के अन्तर्गत शुक्रवार को प्रेक्षागृह सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकार एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में विधिक सेवा शिविर का आयोजन किया गया।

इस शिविर का विधिवत उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार गोपाल जी, प्रधान न्यायाधीश बलराम दुबे एवं अपर समाहर्ता ज्योति कुमार,सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा एवं न्यायिक पदाधिकारियों के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज के वंचित तबकों को सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाएं की जानकारी देना एवं इनके अन्दर आने वाले लोगों को लाभान्वित करवाना। इस शिविर में सभी न्यायिक पदाधिकारियों एवं जिला प्रशासन के विभिन्न विभाग के अधिकारी एवं आम जनता शामिल हुए।

इस अवसर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार गोपाल जी ने कहा कि लोगों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना होगा। अब सरकार के द्वारा लोगों को गर्भ से ही अधिकार प्रदान किया गया है।उन्होंने कहा कि अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य पालन भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सड़क पर चलना सबों का अधिकार है लेकिन किसी दूसरे को हानि पहुंचाये बिना बायी ओर चलना कर्तव्य भी बनता है।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक बनाने के लिए गति लाना है। जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिलने पर वह राहत महसूस करता है।और आगे बढ़ता है।उन्होंने कहा कि दूसरों को भी सहयोग एवं मदद करें ताकि अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को इसका लाभ मिल जाए।

उन्होंने एक दूसरे के प्रति समर्पित होकर कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि सर्वे भवंतु सुखिनः हमारा मूल मंत्र है।वही लोगों को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होने में मदद करना होगा। इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश बलराम दुबे ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बहुत सी ऐसी योजना है जो लोगों को पता भी नहीं है। हिंसा सहना एवं हिंसा करना दोनों बराबर है।

उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक ऐसा मामला आया जिसमें माता पिता को पुत्र देखभाल नहीं करता था। वह अपने पुत्र के विरुद्ध मेंटेनेंस का केस करने आया था। मैंने सोचा कैसा समय आ गया है।एक समय ऐसा भी था जब राजा दशरथ ने राम भगवान को वन भेजा तो उन्होंने कहा कि वन भी मेरे लिए दस अयोध्या के बराबर है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा

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