संघ नहीं बनाने का आदेश देने वाले अधिकारी आईएएस एसोसिएशन से अलग होकर दिखाएं : रंजन

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संघ नहीं बनाने का आदेश देने वाले अधिकारी आईएएस एसोसिएशन से अलग होकर दिखाएं : रंजन


संघ नहीं बनाने का आदेश देने वाले अधिकारी आईएएस एसोसिएशन से अलग होकर दिखाएं : रंजन


बेगूसराय, 13 नवम्बर (हि.स.)। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा बीपीएससी द्वारा नियुक्त किए गए शिक्षकों को संघ संगठन बनाने से रोके जाने का विरोध शुरू हो गया है। प्राथमिक शिक्षक साझा मंच के समन्वय समिति सदस्य रंजन कुमार ने इस आदेश को लेकर बड़ा सवाल उठाया है।

रंजन कुमार ने कहा है कि नवनियुक्त शिक्षकों को किसी भी तरह से कोई भी संघ-संगठन बनाने अथवा उसमें शामिल होने या फिर किसी भी तरह के सांगठनिक आंदोलन का हिस्सा बनने, उसमें भाग लेने या उसका वैचारिक समर्थन करने जैसे मसलों को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति काफी हैरतअंगेज है।

आजादी से पहले अंग्रेजों के दमनकारी कंपनी राज के समय की याद दिलाती प्रतीत हो रही है। हालांकि अंग्रेजों के समय से ही सरकारी कर्मियों के संघ बनाने के उदाहरण मिलते हैं । जिसमें एमेलगेमेट्ड सोसाइटी ऑफ रेलवे सर्वेंट ऑफ इंडिया एंड वर्मा (1897) तथा द इंडियन सिविल सर्विस एसोसियेशन (1918) आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक-1920)जैसे नाम प्रमुख हैं।

स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी 1950 को लागू किए गए भारतीय संविधान में भी संस्था तथा संघ बनाने के संवैधानिक अधिकार का प्रावधान किया गया। बशर्ते कि वह सार्वजनिक व्यवस्था अथवा नैतिकता के मार्ग में बाधक नहीं हो। संविधान में साधारण तौर पर एक आम नागरिक को प्रदत्त मूलभूत अधिकार, अधिकांशतः सिविल सेवकों/कर्मचारियों को पूर्व से ही प्राप्त हैं।

किसी व्यक्ति अथवा समूह के संविधान प्रदत्त अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने संबंधी कोई शक्ति, किसी भी स्तर पर किसी लोकसेवक/ कार्यपालक पदाधिकारी के पास ना कभी थी, ना है और आगे भी ना कभी होगी। प्रेस विज्ञप्ति निकालकर शिक्षकों को भयभीत करने वाले अधिकारी के पास अगर इतनी ही शक्ति है तो किसी भी शिक्षक को संगठन बनाने अथवा संगठन में शामिल होने से रोकने के लिए विधानमंडल या कैबिनेट की स्वीकृति के साथ सरकार का कोई अध्यादेश, संकल्प या अधिसूचना निर्गत करने की हिम्मत तो दिखाएं।

रंजन कुमार ने जारी विज्ञप्ति एवं सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि कभी पुराने तो कभी नवनियुक्त शिक्षकों को बात-बेबात घुड़की पिलाने को उद्दत रहनेवाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एक सार्वजनिक घोषणा के साथ पहले खुद को आईएएस एसोसियेशन बिहार से अलग करके तो दिखाएं। जो व्यक्ति खुद संघ-संगठन के सदस्य रहेंगे। वह दूसरों को संघ-संगठन में शामिल होने से रोकेंगे, यह कहीं से भी उचित नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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