प्रेमचंद की परंपरा ने किया भविष्य के साहित्य का मार्गदर्शन : डॉ. अभिषेक कुंदन
बेगूसराय, 31 जुलाई (हि.स.)। एस.बी.एस.एस. महाविद्यालय में सोमवार को मुंशी प्रेमचंद जयंती-सह-एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता गणेशदत्त महाविद्यालय में हिंदी के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुंदन ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य वैश्विक साहित्य में गोर्की, दस्तयोवस्की, तोल्स्तोय के समकक्ष ठहरता है।
उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में आप वर्तमान के सभी विमर्शों की झलक पा सकते हैं। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने भविष्य के साहित्य का मार्गदर्शन किया। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नीलेश कुमार ने कार्यक्रम का बीज वक्तव्य दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा प्रेमचंद के साहित्य में दलितों, वंचितों, स्त्रियों की पीड़ा की झलक मिलती है।
हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजकुमार ने विशेष प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि का उल्लेख करते हुए उसके नायक सूरदास को साम्राज्यवादी शक्तियों से लड़ने वाले योद्धा बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने कहा प्रेमचंद भारतीय जन मन की आवाज थे। धन्यवाद ज्ञापन सह वक्तव्य में हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरमान आनंद ने विशेष रूप से प्रेमचंद की कहानी मुक्ति मार्ग और दूध के दाम का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि मुक्ति मार्ग ईर्ष्या और द्वेष में डूबे गंवई समाज और किसान से मजदूर बनते मनुष्य की कथा है। वहीं दूध के दाम कहानी में दलित जीवन की व्यथा कथा का वर्णन है। इस अवसर पर डॉ. अमित कुमार गुंजन, डॉ. विवेक कुमार सिन्हा, डॉ. रोली कुमारी, डॉ. रणविजय कुमार, रंगकर्मी मोहम्मद रहमान एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

