तुष्टिकरण की राजनीति में उलझी हुई है नीतीश कुमार की सरकार : प्रो. राकेश सिन्हा
बेगूसराय, 28 अक्टूबर (हि.स.)। राज्यसभा सदस्य (सांसद) प्रो. राकेश सिन्हा ने बेगूसराय के बलिया में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए बवाल के पीड़ितों से शनिवार को मुलाकात की। बलिया में मुलाकात करने के बाद उन्होंने एसपी योगेन्द्र कुमार से मिलकर विभिन्न मुद्दों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया तथा हर हाल में निर्दोष को फंसने से बचाने की अपील की।
एसपी के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि शांति और विश्वास कायम करने की कोशिश कर रहे हैं। पत्थरबाजी और लाठीचार्ज से घायल लोगों से मिले हैं, निर्दोष लोगों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। पुलिस ने पासवान टोला में गरीब, निर्दोष, निरीह व्यक्ति पर ज्यादती की है। चौकीदार के साथ-साथ दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने के दौरान घर आए दो छात्रों को बुरी तरह से पीटा गया।
पुलिस मानवाधिकार को ध्यान में रखकर कार्रवाई करे। मानवाधिकार रहित पुलिसिया कार्रवाई बर्बरतापूर्ण होती है। महिलाओं को गाली देना, घर तोड़ने की धमकी देना, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार करना पुलिस का गलत कदम है। एसपी ने आश्वासन दिया है कि पीड़ितों के दर्द पर मरहम लगाने का हर काम करेंगे। रेलवे का पत्थर धार्मिक उत्सव पर चलना दर्शाता है कि यह दंगा सुनियोजित था।
पूरे कार्रवाई की जांच होनी चाहिए, पूजा समिति पर कार्रवाई की बात चल रही है, जबकि उसमें 50 एवं 70 वर्ष के कई लोग शांति और सदभाव वाले हैं। पासवान बस्ती में जाकर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज और दुर्व्यवहार करना निंदनीय है। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई हो। पुलिस ने दंगा रोकने की कार्रवाई निर्दोष को पीटा, अब धमका रही है, यह गलत है। अबोध नाबालिग पर लाठी चलाना कहां का न्याय है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ काम नहीं कर रही है। नालंदा, बिहार शरीफ और सिवान में यह स्पष्ट दिखा। बेगूसराय में भी नीतीश कुमार के नीतियों की छाप दिखाई पड़ रही है। पुलिस सरकार की नीति को देखकर काम करती है और नीतीश कुमार की सरकार तुष्टिकरण में उलझी हुई है। वोट बैंक की राजनीति से मुक्ति से सांप्रदायिकता खत्म हो जाएगी।
धर्म के आधार पर वोट देना बंद करने से साम्प्रदायिकता बंद हो जाएगी। सांप्रदायिकता की जड़ वोट बैंक की राजनीति है, पार्टियों को इससे बाहर निकलना होगा। किसी को भी अशांति और दंगा में पेट्रोल नहीं छिड़कना चाहिए। बेगूसराय में 15-20 दिनों के खास अंतराल पर हो रही घटना से पुलिस प्रशासन सख्ती से निपटे। बेगूसराय को आग में झोंकने की कोशिश हो रही है, इस पर रोक लगनी चाहिए।
छठ बिहार की अस्मिता और अध्यात्म का शिखर है। पूरी दुनिया के लोग छठ में आते हैं, लेकिन इसमें एक-दो दिन की छुट्टी देकर हिंदुओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है। अध्यात्म के बिना देश और समाज नहीं चल सकता है। आईएनडीआईए बिहार की अस्मिता को मिटाने की कोशिश से कर रही है। कभी तुलसीदास तो कभी रामचरितमानस पर बयानबाजी किया जाता है। फिर दंगाइयों के साथ नरमी बरतना इस सरकार की नियति बन गई है। प्रशासन राजनीतिक दृष्टि से नहीं, संविधान को ध्यान में रखकर काम करें।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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