मातृ-मृत्यु पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर तत्काल रिपोर्टिंग पर जोर

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मातृ-मृत्यु पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर तत्काल रिपोर्टिंग पर जोर


अररिया,03 मई (हि.स.)। जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर स्वास्थ्य संबंधी एक गंभीर चुनौतियों में शुमार है। सघन आबादी, उच्च प्रजनन दर, गरीबी, अशिक्षा व कम उम्र में युवतियों की शादी सहित अन्य वजहों से जिले में मातृ मृत्यु दर का अनुपात राज्य के अन्य जिलों की तुलना में अधिक है। जिले का मातृ मृत्यु दर यानि एमएमआर रेट 177 है। नवजात मृत्यु दर यानि आईएमआर 43 है। जो राज्य के औसत से काफी अधिक है। एमएमआर प्रति एक लाख जीवित बर्थ पर होने वाली महिलाओं की मौत का दर्शाता है। वहीं आईएमआर प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर होने वाली मौत की संख्या को दर्शाता है।

गर्भधारण से लेकर प्रसव के उपरांत 42 दिनों की अवधि के दौरान होने वाले किसी महिला की मौत मातृ मृत्यु में शामिल है। डीसीक्यूए डॉ मधुबाला ने बताया कि इस संबंध में सूचना देने वालों विभागीय स्तर से प्रोत्साहन राशि के रूप में 01 हजार रुपये देने का प्रावधान है। इसके लिये विभाग के टॉल फ्री नंबर 104 पर इस संबंध में सूचित करना जरूरी है। समुदाय स्तर पर होने वाली मौत के लिये प्रोत्साहन राशि देय है। किसी संस्थान में हुई मौत इसमें शामिल नहीं है। कॉल सेंटर के माध्यम से सूचक को अपने आधार सहित अन्य पहचान संबंधी अन्य दस्तावेज के साथ मृत गर्भवती महिला से संबंधित जानकारी देना होता है। कॉल सेंटर के माध्यम से ये जानकारी संबंधित जिलास्तरीय नोडल अधिकारी को दी जाती है। इसके 48 घंटे के अंदर संबंधित प्रखंड के एमओआईसी द्वारा गठित तीन सदस्यीय विशेष चिकित्सकीय दल रिपोर्ट जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराना होता है। रिपोर्ट में मामला सत्यापित होने के बाद सूचक को संबंधित प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है। वहीं सूचना देने वाली आशा कर्मी को प्रोत्साहन राशि के रूप में 1200 रुपये भुगतान किये जाने का प्रावधान है।

डीपीएम स्वास्थ्य संतोष कुमार ने बताया कि मातृ मृत्यु संबंधी करीब 10 प्रतिशत मामले प्रसव से पहले घटित होते हैं। वहीं मौत संबंधी 40 फीसदी मामले प्रसव के दौरान या इसके तत्काल बाद घटित होते हैं। करीब 30 फीसदी मामले प्रसव के बाद व करीब 20 फीसदी मामले प्रसव के 42 दिनों के अंदर घटित होते हैं। मातृ मृत्यु संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से विभागीय स्तर से जरूरी पहल किया जा रहा है। मातृ मृत्यु संबंधी मामलों की रिपोर्टिंग इसकी महत्वपूर्ण कड़ी है। संबंधित मामलों की जिले में लगातार निगरानी की जा रही है। घटना की पुनर्रावृति रोकने के लिये घटना की ससमय रिपोर्टिंग जरूरी है। ताकि इस पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सके।

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि जिले में मातृ मृत्यु संबंधी मामलों को नियंत्रण करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजना संचालित है। इसे लेकर प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं की जांच, प्रसव पूर्व चार जांच सुनिश्चित कराने सहित संस्थागत प्रसव को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। मातृ मृत्यु को प्रभावी तौर पर नियंत्रित करने में संबंधित मामलों की रिपोर्टंग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मौत के मामलों का पता चलने पर संबंधित कारणों की पड़ताल करते हुए इसका निदान संभव है। ताकि इस वजह से किसी अन्य गर्भवती महिला को अपनी जान नहीं गवानी पड़े।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/गोविन्द

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