मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से शिशुओं को बनाया जाएगा स्मार्ट: डीपीओ

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मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से शिशुओं को बनाया जाएगा स्मार्ट: डीपीओ


मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से शिशुओं को बनाया जाएगा स्मार्ट: डीपीओ






किशनगंज 06,अप्रैल(हि.स.)। बेहतर शिक्षा एवं सुपोषण बच्चों के सर्वंगिण विकास के लिए जरुरी होता है। इस दिशा में आईसीडीएस की भूमिका सराहनीय रही है। शिक्षा एवं पोषण से बच्चों को जोड़ने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों का आधुनिकरण आईसीडीएस की सेवाओं को अधिक प्रभावी बना रही है। जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में विकसित कर आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाया गया है। इसके साथ ही इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है ताकि बच्चों के लिए बेहतर उपयोगी बनाया जा सके।

जिले के कोचाधामन प्रखंड के डेरामारी गांव स्थित मोहरमारी आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही पौस्टिक आहार खाने से लेकर सभी तरह का ख्याल रहा जाता है। इसके लिए केंद्र में पोषण वाटिका का भी निर्माण किया गया है, जहां जहां नींबू, पालक, पपीता, अमरुद, केला, गाजर, फूल की खेती की गई है।

वहीं पढ़ने वाले बच्चो की माताओं के विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए महीने के प्रथम शुक्रवार को आरोग्य दिवस मनाया जाता है जिसमें एएनसी जांच की सुविधा उपलब्ध रहती हैं। समेकित बाल विकास परियोजना विभाग की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जया मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा निर्देश के आलोक में जिले के सभी प्रखंडो में मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को स्मार्ट बनाए जाने को लेकर कवायद शुरू कर दी गई है। इसके सभी सात प्रखंडों से एक आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाया गया है। ताकि उसको देख कर आसपास के केंद्रों की सेविकाओं द्वारा एक सार्थक प्रयास कर अपने केंद्रों को भी उसी तर्ज़ पर बना सके। जिन केंद्रों में आधारभूत सुविधाओं की कमियां रहेंगी वहां सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही आधुनिक तकनीक से भी जोड़ा जाएगा।

इन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को सेविकाओं द्वारा खेल-खेल में ही नई-नई तकनीकों के सहारे अक्षर का ज्ञान सिखाया जाता हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों के लिये अधिक रूचिकर व उपयोगी बनाने के उद्देश्य से जिले के चिह्नित आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इन केंद्रों पर आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है। ताकि सहज अंदाज में बच्चों के शैक्षणिक कौशल का विकास संभव हो सके। मॉडल केंद्रों पर आकर्षक वॉल पेंटिंग के माध्यम से गिनती, वर्णमाला, पशु-पंक्षियों के चित्र, कार्टून्स व मापतौल के चित्रों अंकन किया गया है। ताकि बच्चे खेल-खेल में नई जानकारियां हासिल कर सकें और उन्हें बुनियादी शिक्षा दी जा सके।

कोचाधामन प्रखंड की सीडीपीओ प्रियंका श्रीवास्तव ने बताया की मॉर्डन आंगनबाड़ी केंद्र बनने के बाद केंद्र के प्रति बच्चों का रूझान काफी बढ़ा है। पहले पोषक क्षेत्र के बच्चे केंद्र आने में कोई रूचि नहीं लेते थे। लेकिन केंद्र में सुविधाओं के हुए विकास के बाद बच्चों की उपस्थिति में काफी सुधार हुआ है। केंद्र पर आने वाले बच्चे खेल-खेल में ही अपना पाठ याद करते हैं। केंद्र पर विद्युत सेवा, स्वच्छ पेयजल, शौचालय व डिजिटल स्क्रीन के माध्यम से बच्चों को जरूरी जानकारी देते हुए उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर ध्यान दिया जाता है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जया मिश्रा ने बताया कि मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र 06 साल से कम उम्र के बच्चों को बेहतर प्री स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने के लिहाज से बेहद कारगर साबित हो रहा है। यहां बच्चों को प्ले स्कूल की तरह तमाम जरूरी सुविधाएं उपलब्ध है। इन केंद्रों पर बच्चों के लिये खेल से लेकर मनोरंजन तक के लिये जरूरी इंतजाम उपलब्ध हैं।

केंद्र के माध्यम से शिशु व गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, स्वास्थ्य, पोषण व प्री स्कूल से जुड़ी सेवा स्थानीय लोगों को सहजता पूर्वक उपलब्ध कराया जा रहा है। महिला पर्यवेक्षिका प्रीति ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल से पूर्व मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र की शुरुआत हुई थी। जब से मॉडल केंद्र बना हुआ है तब से इसके प्रति बच्चों का रूझान काफी बढ़ा हुआ है। पहले के दिनों में पोषक क्षेत्र के बच्चे या अभिभावकों द्वारा केंद्र आने में अधिक रूचि नहीं दिखाते थे। लेकिन अब सभी तरह की आवश्यकता अनुसार सुख सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई है। जिस कारण सुविधाओं गुणात्मक सुधार हुआ है। केंद्र पर आने वाले बच्चे खेल-खेल में ही अपना पाठ याद करते हैं। वहीं केंद्र में लाइट, पंखा, शुद्ध पेयजल, हैंडवाश स्टेशन, रसोईघर, दीवाल पेंटिंग, हिंदी वर्णमाला, शौचालय, मनोरंजन के साधन के लिए एलईडी, झूला, डस्टबिन सहित कई अन्य सुविधाएं मुहैया कराई गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा

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