संस्कार भारती उत्तर बिहार प्रांत के तत्वावधान में ‘मिथिला कला उत्सव–2025’ का आयोजन

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पटना, 14 दिसंबर (हि.स.)। संस्कार भारती उत्तर बिहार प्रांत के तत्वावधान में ‘मिथिला कला उत्सव–2025’ का आयोजन रविवार को रीजनल सेकेंडरी स्कूल, जीवछ घाट, मधुबनी के प्रांगण में में संपन्न हुआ। यह उत्सव मिथिला की समृद्ध कला, संस्कृति और लोक परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन को समर्पित रहा।

कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन अखिल भारतीय मंत्री संजय चौधरी, प्रसिद्ध लोक गायिका रंजना झा, रोसड़ा के सब रजिस्ट्रार डॉ. भास्कर ज्योति तथा विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार झा ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन के बाद शंखनाद, मंगलाचरण और ‘जय-जय भैरवी असुर भयाओनि’ की बांसुरी वादन प्रस्तुति दी गई। इसके पश्चात पूर्णिया इकाई की टीम ने संस्कार भारती का ध्येय गीत प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के संबोधन का प्रसारण किया गया।

मुख्य अतिथि संजय चौधरी ने कहा कि मिथिला जगत जननी माता जानकी की भूमि है और विश्व की सबसे समृद्ध सभ्यताओं में इसकी विशिष्ट पहचान रही है। बाबा विद्यापति के गोसाउनिक गीत, राजा सलहेस की सामाजिक समरसता की परंपरा, कुमारीन भट्ट और महेंद्र मलंगिया जैसे विभूतियों के योगदान से मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर समृद्ध हुई है।

उन्होंने संयुक्त परिवार की अवधारणा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज एकल परिवार की बढ़ती प्रवृत्ति सामाजिक विघटन का कारण बन रही है, जिससे पारिवारिक संवाद और संस्कार कमजोर हो रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।

सब रजिस्ट्रार डॉ. भास्कर ज्योति ने कहा कि समाज के सभी वर्गों में भावनात्मक जुड़ाव के बिना राष्ट्र की समृद्धि संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि बाजारवाद और उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रभाव से परिवारों में दूरियां बढ़ी हैं। मजबूत राष्ट्र निर्माण के लिए गांवों को जोड़ना और स्वावलंबन को बढ़ावा देना जरूरी है।

लोक गायिका रंजना झा ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

उन्होंने चिंता जताई कि नई पीढ़ी अपने पूर्वजों और पारिवारिक परंपराओं से कटती जा रही है, ऐसे में संस्कार भारती जैसे संगठन सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार झा ने कहा कि समृद्धि केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी होनी चाहिए और इसके लिए पारिवारिक व सामाजिक मूल्यों को सशक्त करना आवश्यक है।

विमर्श सत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि अमित कुमार मिश्रा ने संयुक्त परिवार की महत्ता पर अपने विचार रखे, जबकि सुशांत जी ने सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान युगल गायन, वंदेमातरम् पर नृत्य सहित अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं। आयोजन में बड़ी संख्या में कला प्रेमी, बुद्धिजीवी, छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी

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