विद्यालयों में मध्याहन भोजन के लिए आवंटित चावल बिना तौले संवेदक दे देते हैं विद्यालय में

WhatsApp Channel Join Now
विद्यालयों में मध्याहन भोजन के लिए आवंटित चावल बिना तौले संवेदक दे देते हैं विद्यालय में


पूर्णिया 3 नवंबर(हि. स.)। विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षक सरकारी कर्मियों में सबसे कमजोर कडी माने जाते रहे हैं, एक अदना-सा व्यक्ति भी उन्हें आंख दिखाकर चला जाता है, वे बेचारे बस देखते रह जाते हैं। ऐसा ही मामला यहां के विद्यालय में देखने को मिला, जब मध्याहन भोजन के लिए ट्रेक्टर से चावल विद्यालय में भेजा गया। इस चावल के साथ चालक एवं दो मजदूर थे, जबकि नियमतः इनके साथ संवेदक के कर्मी की भी मौजूदगी होनी चाहिए थी।

चावल ट्रेक्टर से फटे-चिटे बोरे से सीधा विद्यालय के गोदाम में गिनती से रख दिया गया। इसबीच फटे हुए बोरों से चावल जमीन पर गिरती रही, जिसकी सुरक्षा के लिए संवेदक ने कोई उपाय नहीं कर रखे थे। ट्रेक्टर पर भी चावल काफी मात्रा में गिरे पडे थे। खाली-खाली बोरे को एक नजर देखने से ही लग रहा था कि बोरे में 50 किलो का बोरा नहीं हो सकता है, बल्कि इसमें 40 से 45 किलो से ज्यादा चावल नहीं है। जबकि सरकार 50 किलो का बोरा उपलब्ध कराती है।

नियमानुसार विद्यालय में चावल प्रभारी प्रधानाध्यापक के सामने संवेदक के कर्मी द्वारा कांटा करके दिया जाना चाहिए था, परंतु ऐसा नहीं हो रहा था। जब इस बाबत चालक से पूछा गया कि चावल नाप कर क्यों नहीं दिया जा रहा है, तब चालक ने बताया कि उन्हें बोरा मापी के लिए कोई कांटा नहीं दिया गया है। उसे चावल लादकर धर्मकांटा के लिए भेज दिया जाता है तथा सभी विद्यालयों को आवंटित बोरों की संख्या लिखी हुई एक-एक फॉर्म दे दिया जाता है, जो प्रभारी से एक फॉर्म रीसिविंग करा लिया जाता है। यह पूछने पर कि उनके साथ कोई नहीं आता है ? तब उसने बताया कि वे लोग इसी तरह बांटते हैं, कोई नहीं आता है। इस विद्यालय में आवंटित चावल के बोरों को उतारकर ट्रेक्टर अन्य विद्यालय के लिए चला गया।

इसकी जानकारी जब संवेदक के मुंशी के मोबाइल नंबर 6203692936 से इस बात की जानकारी ली गई। तब उन्होंने बताया कि वे सात गाडियों के साथ कैसे जा सकते हैं। प्रभारी प्रधानाध्यापक अपना कांटा रखें तथा मापी करवा लें। कुल मिलाकर शिक्षकों के साथ सीधा अन्याय होते देखा जाता रहा है। देखें प्रशासन संवेदक के इस कारनामे पर किस प्रकार लगाम लगाता है या फिर कमजोर कडी शिक्षकों को ही दंडित करने का प्रयास करता है। वही इस मामले में डीपीओ बताते है संवेदक को विद्यालय में बोरा मापकर देने का आदेश है। प्रत्येक मिटींग में शिक्षकों को बताया जाता है तथा चिठी दी गई है कि अगर बोरा फटा हो, चालव सडा-गला हो, चावल माप कर नहीं दिया जा रहा हो तो उसे तुरत वापस कर दें। यद्यपि उनके संज्ञान में बातें आयी हैं तो वे तुरत संवेदक एवं अन्य अधिकारियों से बात कर इस शिकायत को दूर करने का प्रयास करेंगे।

हिंदुस्थान समाचार/नंदकिशोर/चंदा

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story