कार सेवकों के जेहन में ताजा हो गई है राम जन्मभूमि के संघर्ष और आंदोलन की यादें

कार सेवकों के जेहन में ताजा हो गई है राम जन्मभूमि के संघर्ष और आंदोलन की यादें
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कार सेवकों के जेहन में ताजा हो गई है राम जन्मभूमि के संघर्ष और आंदोलन की यादें


बेगूसराय, 18 जनवरी (हि.स.)। सैकड़ों वर्ष की तपस्या के बाद अयोध्या में रामलला का भव्य और दिव्य मंदिर बन गया है। 22 जनवरी को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होना है, इसको लेकर जब हर ओर हर्ष का माहौल है तो एक बार फिर कार सेवकों की चर्चा तेज हो गई है।

बेगूसराय से भी उस कार सेवा में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे, जलालत झेली थी। अब जब राम मंदिर बन गया है तो कार सेवकों में खुशी है तथा वे सब दुख दर्द को भूल चुके हैं। रामजन्म भूमि संघर्ष, समर्पण और शहादत की चर्चा करते हुए आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं।

एक कार सेवक अमरेन्द्र कुमार अमर ने बताया कि 23 अक्टूबर 1990 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राम जन्म भूमि के नायक लालकृष्ण आडवाणी रथ यात्रा के साथ पटना होते हुए मुसरीघरारी पहुंचने वाले थे। बेगूसराय से एक ट्रैकर में चढ़कर भाजपा नेता सारंगधर सिह, राजवल्लव कुंवर, शशिकांत चौधरी, विश्वनाथ सिंह एवं सत्येन्द्र प्रसाद सिंह के साथ शाम 7 बजे मैं मुसरीघरारी पहुंचा।

रथयात्रा 10 बजे रात में मुसरीघरारी पहुंचा, वहां से रथ यात्रा के साथ समस्तीपुर पहुंचा। लालकृष्ण आडवाणी सरकारी गेस्ट हाउस में ठहर गए। उनके साथ कैलाशपति मिश्र भी थे। देर रात होने के कारण हम लोग बगल के ही पेट्रोल पंप स्थित अर्ध निर्मित सभागार में ठहर गए। सुबह होते ही पता चला कि आडवाणी जी को गिरफ्तार कर हेलीकॉप्टर से ले जाया गया है।

सभी कार्यकर्ता गेस्ट हाउस पहुंचे जहां पर कैलाशपति मिश्र बरामदे पर कुर्सी पर बैठे थे। कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाउस के सभी गमले कुर्सी और सामानों को नुकसान पहुंचाकर आक्रोश व्यक्त किया। सारंगधर सिह की अगुवाई में हमलोग कैलाशपति मिश्र को पास के मैदान ले गये। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए धैर्य तथा अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया।

30 अक्टूबर 1992 को अयोध्या में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा परिंदा भी पर नहीं मार सकता की घोषणा हो गई थी। लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, अशोक सिंघल, विनय कटियार सहित सभी बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हो चुकी थी। बरौनी से एक जत्था में प्रो. ब्रजकिशोर शर्मा, राजवल्लभ कुंवर, रामू जी, उमा जी एवं विहिप नेता ब्रजकिशोर के साथ अयोध्या के लिए रवाना हुआ।

गोरखपुर पहुंचते ही गिरफ्तारी तथा चेकिंग शुरू हो गई। ट्रेन बदलकर हम लोगों ने अलग-अलग ट्रेनों से यात्रा शुरू की। हम राजबल्लभ कुमार, सरपंच रामनंदन जी, रामू जी और शशिकांत चौधरी के साथ 29 अक्टूबर के रात दो बजे नवाबगंज गोंडा स्टेशन पहुंचे। भारी पुलिस चेकिंग और गिरफ्तारी के बीच नवाबगंज गोंडा से कटरा स्टेशन पहुंचे।

जहां आगे गिरफ्तारी से बचने के लिए ट्रेन जैसे ही कटरा से आगे बढ़ी कि हम लोग ट्रेन के धीमा होते ही ट्रेन से उतर गए। रात भर पैदल ही रेलवे ट्रैक के सहारे चलते हुए सुबह में अयोध्या पहुंचे जहां पर सभी लोग अलग-अलग ठाकुरबाड़ी में ठहर गए। हम जल गोविंदा के राम प्रकाश दास हनुमानगढ़ी के बगल में ठाकुरबाड़ी में ठहरे। यह ठाकुरबारी हमारे गांव से जुड़ा हुआ है।

जब कार सेवा के लिए अगले दिन लोग निकलने लगे तो पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। हल्ला हुआ कि विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल गोलीबारी में घायल हो गए हैं। इसके बाद बड़ी संख्या में कारसेवक, नागा और संत जब राम जन्मभूमि की ओर बढ़े तो मुलायम सिंह की पुलिस ने गोली चलाना शुरु कर दिया और उसके बाद सैकड़ों लोग मारे गए।

छह दिसम्बर 1992 को कार सेवा के लिए बेगूसराय से बड़ी संख्या में कार सेवक बरौनी से ट्रेनों के माध्यम से अयोध्या चले थे। हम लोगों का नेतृत्व साथ प्रो. अमरेश चंदेल, प्रो. बृज किशोर शर्मा, सारंगधर सिंह, राजबल्लभ कुंवर, केदार जी रामायणी, राम शंकर सिंह, संजय शास्त्री, देवेंद्र सिंह एवं रामरतन चौधरी आदि थे।

छह दिसम्बर को सुबह आठ बजे हम लोग विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के निर्देशानुसार सरयु स्नान के लिए निकल पड़े। जहां से निर्देश दिया गया था कि स्नान कर हाथ में सरयु नदी का बालू लेकर जन्म भूमि मंदिर की ओर प्रस्थान करना है। हम लोग जब स्नान कर आगे बढ़े तो बड़ी संख्या में पीएससी एवं सीआरपीएफ के जवान मौजूद थे।

बाबरी ढांचे के चारों तरफ दो लेयर में कटीले तार लगाए गए थे। भारी अफरा-तफरी तथा मंचों से नेताओं को सुनने के लिए भी बेकाबू हो रही थी। हम लोग नेताओं को सुन रहे थे, इसी बीच 11 बजे जोर से हल्ला शुरू हुआ। देखते देखते लोगों ने जय श्रीराम जय श्रीराम का नारा लगाते हुए कंटीले बैरियर को उखाड़ना शुरू कर दिया। फिर पांच सौ वर्षों के गुलामी का प्रतीक बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गया।

हमलोग बेगूसराय आये, यहां गिरफ्तारी शुरू हो गई। अगले सुबह नगर थाना के समीप विष्णुपुर के पांचजन्य विक्रेता नाथो जी को जब पुलिस ने पकड़ लिया तो हमलोग घरों से हटकर छिप गए। बाद में भाजपा पर प्रतिबंध लगने के समाचार तथा आशंका के बीच सेठानी धर्मशाला में एक मीटिंग आयोजित की गई। जिसमें प्रो. बृज किशोर शर्मा को श्रीराम लोक संघर्ष समिति का संयोजक, हमें सह संयोजक तथा राजेन्द्र शर्मा को कोषाध्यक्ष बनाया गया।

उन्होंने कहा कि पांच सौ वर्षों की राम जन्मभूमि की संघर्ष यात्रा अनेक पड़ाव से होकर गुजरी। जिसमें लाखों नाम -अनाम लोगों ने अपनी कुर्बानी शहादत और सहयोग किया। 22 जनवरी उन सब लोगों के लिए ऐतिहासिक है, जिन्होंने अपने कंठों से नारा लगाया था ''रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।''

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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