माता सीता और प्रभु श्रीराम को एकाकार करने वाली मिथिला की महान भूमि है सिमरिया : जगतगुरु श्री बल्लभाचार्य
बेगूसराय, 30 अक्टूबर (हि.स.)। धर्म ध्वज, कुंभ ध्वज, हनुमंत ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज अधिष्ठापन के साथ ही बेगूसराय के पावन गंगा तट सिमरिया धाम में तुलार्क महाकुंभ रविवार से शुरू हो गया। इस कार्यक्रम में स्थानीय और बिहार के संत, महंत और महामंडलेश्वर सहित अयोध्या, प्रयाग एवं हरिद्वार सहित अन्य जगहों के साधु-संत शामिल हुए।
ध्वज अधिष्ठापन समारोह को संबोधित करते हुए अयोध्या पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य श्री बल्लभाचार्य ने कहा कि पांचवें कुंभस्थली के रूप में पुर्नस्थापित यह सिमरिया धाम जगत जननी माता सीता और प्रभु श्रीराम को एकाकार करने वाली मिथिला की महान धरती है। यहां कुंभ था, कुंभ है और कुंभ रहेगा। इसलिए शासन-प्रशासन हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयाग की तरह ही व्यवस्था करे।
जिससे साधु संत यहां आएं और कुटिया बना कर रहें, यज्ञ आदि कार्य करें। यहां आने से हम सभी का कुल धन्य हो गया। संत महापुरुषों का समागम तत्काल फल देने वाला होता है। जब आठ जन्मों के पुण्य एकत्रित होते हैं तो ऐसे पुण्य कार्य में शामिल होने का सौभाग्य मिलता है। संत जहां पहुंच जाते हैं, वह तीर्थ होता है और तीर्थ भवसागर से पार करता है। बहुत दिन पहले महापुरुष का चरण पड़ने से ही सिमरिया तीर्थ धाम बन गया।
भारतीय अनि निर्वाणी अखाड़ा के अध्यक्ष महंत धर्मदास जी यहां आ गए तो सभी अखाड़ा पहुंच गया। जब अखाड़ा की सहमति मिल जाती है तो प्रशासनिक स्वीकृति की जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि यहां कुंभ होता रहेगा। जिस धरती पर मिथिला नरेश पैदा हुए, माता सीता का प्राकट्य हुआ। उसे महान धरती पर अयोध्या के भी संत आए। अयोध्या से लोग आते रहते हैं, लेकिन इतिहास गवाह है त्रेता से कलयुग तक अयोध्यावासी ने किसी को कुछ दिया नहीं है।
देने में तो मिथिला महान है, जिसने माता जगत जननी सीता को दान कर दिया। इस भूमि ने दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दान किया। यहां आने के बाद ही श्री राम पूर्ण हुए। हरिद्वार में महाकुंभ लगता है, उज्जैन, नासिक और प्रयाग में कुंभ लगता है। लेकिन सिमरिया में तो पूरा कुंभ ही लगता है, इसलिए यहां सभी तरह की व्यवस्था होनी चाहिए। यहां के सांसद, विधायक, मंत्री, जनप्रतिनिधि और कुंभ सेवा समिति के साथ हम सब मिलकर इस धरती को और आगे बढ़ाएं।
श्रीराम जन्मभूमि के पक्षकार और अखिल भारतीय अनि निर्वाणी अखाड़ा के अध्यक्ष धर्मदास जी ने कहा कि मिथिला के कर्मवीर स्वामी चिदात्मन जी के प्रयास और साधु-संतों की सहमति से सिमरिया में कुंभ की शुरुआत हुई। जगत जननी जगदंबा माता सीता की जन्म भूमि क्षेत्र मिथिला में स्थित सिमरिया का यह कुंभ सनातन धर्म का अनमोल केंद्र है। इस क्षेत्र पर माता गंगा की कृपा है। हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक के बाद यहां कुंभ प्रतिष्ठापित हो चुका है।
सर्वमंगला के संस्थापक स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि सनातन धर्म की सभी प्रकार के कल्याण के लिए है, यह लौकिक और पारलौकिक गति दिलाने वाला है। विश्व मानवता को परिवार मानने वाला सनातन धर्म का सर्वश्रेष्ठ आयोजन कुंभ सिमरिया में नया स्वरूप ले रहा है। मिथिला की इस धरती पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी पधारे थे। सिमरिया का हमारा अतीत पुनः वटवृक्ष का रूप ले रहा है।
समारोह का संचालन करते हुए कुंभ सेवा समिति के महासचिव रजनीश कुमार ने धर्म मंच एवं पंडाल में उपस्थित लोगों को मिथिला, बेगूसराय और सिमरिया के इतिहास से रूबरू कराया। उन्होंने कहा कि मिथिला का यह दक्षिणी द्वार पर स्थित धर्म मंच का क्षेत्र आज देश भर के साधु संतों के आगमन से अह्लादित है। इतिहास के तीन प्राचीन जनपद मिथिला, मगध और अंग का संगम स्थल सिमरिया नए रूप में स्थापित हो रहा है।
इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, विधान पार्षद सर्वेश कुमार, विधायक कुंदन कुमार, विधायक राजकुमार सिंह, विधायक सुरेन्द्र मेहता, महामंडलेश्वर राम सुमिरन दास, शंकर दास, गोपाल दास, बिहार केसरी महंत रामदास, श्रीकांत दास सहित राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों से आए महंत, श्रीमहंत, पीठाधीश्वर, विभिन्न अखाड़ा के प्रतिनिधि एवं नागा संन्यासी उपस्थित थे।
वैदिक मंत्र के बीच किए गए ध्वज अधिष्ठापन से पहले भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। जयमंगला वाहिनी के कार्यकर्ताओं के संयोजन में बेगूसराय जिला मुख्यालय के नौलखा मंदिर से निकली शोभा यात्रा काली स्थान चौक, कचहरी रोड, ट्रैफिक चौक, हर हर महादेव होते हुए एनएच के रास्ते जीरोमाइल एवं बीहट से सिमरिया धाम पहुंची। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में साधु, संत, जनप्रतिनिधि और श्रद्धालु शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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