संत लक्ष्मीनाथ गोसाई कुटी खजूरी से परसरमा तक खड़ाऊ पदयात्रा आयोजित
सहरसा,22 जून (हि.स.)। मिथिला का कण-कण ऋषि मुनियो की तपस्थली रही है।जहां घर-घर ऋषि परम्परा आज भी अक्षुण्ण है।मिथिला की भूमि धन्य है जहां दो दो शक्ति का अवतरण हुआ है।जिसके कारण भगवान शिव एवं नारायण अवतार भगवान राम को आना पड़ा।
मिथिला का सौभाग्य है कि महाकवि विद्यापति की भक्ति को देखकर उनके यहां शिव चाकर बनें।वही कालांतर मे मिथिला की हृदय स्थली सहरसा के परसरमा गांव मे परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई अवतरित हुए। जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है।उन्हे अष्ट सिद्धि प्राप्त था जिसके अनेक चमत्कारिक कथा का इतिहास है।
बाबाजी भजन कीर्तन गीत नाद के साथ-साथ कुश्ती कबड्डी योग व्यायाम के भी निष्णात साधक रहे।वे जहां जहां गए उनका कुटी हर जगह मौजूद है।जिसमें सहरसा, मधुबनी, लखनौर,फैटकी,सिघिया,बोकारो,जमशेदपुर, नेपाल में कुटी आज भी मौजूद है।उनकी कर्मस्थली वनगांव कुटी में उनकी खड़ाऊ की पूजा नित्य की जाती है।वही खजूरी कुटी से प्रत्येक पूर्णिमा को खड़ाऊ पदयात्रा आचार्य प्रभाकर के द्वारा निकाली जाती है।
श्री प्रभाकर ने बताया कि विश्व का कल्याण सुख व शांति हो इसकी कामना लेकर निकाली जाती है।उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत आरंभ हुई चरण पादुका यात्रा मे गोसाई जी के भक्त गण बिहरा बाजार के बाबू कांत राय, मणिकांत राय,भारत झा, रमन राय, टींकू जी सहित काफी संख्या में गोसांई जी के खराऊं पूजन कर यात्रा को आगे बढ़ाए।वही 32 किलोमीटर पैदल चलकर बैकुंठ धाम परसरमा पहुंच मुख्य पुजारी दिनेश बाबा को पादुका समर्पित किया।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा
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