सर्वार्थ सिद्धि योग मे मनेगा करवाचौथ, 08.16 के बाद व्रत खोलेंगी सुहागिनें: ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा

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सर्वार्थ सिद्धि योग मे मनेगा करवाचौथ, 08.16 के बाद व्रत खोलेंगी सुहागिनें: ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा


सहरसा,31 अक्टूबर (हि.स.)। कोसी क्षेत्र के चर्चित ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार हिंदू धर्म में करवाचौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इस साल का करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा।

मिथिला पंचांग के अनुसार करवाचौथ आज ही मनाया जायेगा। बुधवार को करवा चौथ मे सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है,08.16 रात्री के बाद चंद्र के उदय तदोपरांत व्रती महिला चलनी से चन्द्रमा देख अर्घ दें और पति का चेहरा देखे एवं उनके हाथो पानी पीकर व्रत खोले तो अति शुभ माना जाता है।

करवा चौथ मे व्रती चन्द्रमा, शिव पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोंडशोपचार विधि से विधिवत करें। एक मिट्टी के पात्र मे चावल, उड़द दाल, सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी,इत्यादि एवं रुपया रखकर उम्र मे बड़ी सुहागन महिला के पांव छूकर उन्हें भेट करें एवं आशीर्वाद प्राप्त करें।

करवाचौथ शुरू करने वाली नवविवाहिता को 13 करवा या कलश स्थापना कर पूजा करनी चाहिए।करवा चौथ का व्रत वैसे एक बार शुरू करने के बाद पति के जीवित रहने तक किया जाता है लेकिन किसी कारणवश अगर यह व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर देना चाहिए। करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ वाले दिन ही किया जाता है।परिवार की सुख-समृद्धि,संतान के उत्तम स्वास्थ्य और पति की लंबी आयु की कामना से ये व्रत हो तो उत्तम होता है।

व्रत कथा

एक समय इंद्रप्रस्थ नामक स्थान पर वेद शर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी लीलावती के साथ निवास करता था,उसके सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी, युवा होने पर वीरावती का विवाह कर दिया गया, जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन भूख प्यास सह नहीं पाने के कारण चंद्रोदय से पूर्व ही वह मूर्छित हो गई। बहन की यह हालत भाइयों से देखी नहीं गई तो भाइयों ने एक पेड़ के पीछे से जलती मशाल की रोशनी दिखाई और बहन को चेतनावस्था में ले आये। वीरावती ने भाइयों की बात मानकर विधिपूर्वक अर्घ्य दिया और भोजन कर लिया। ऐसा करने से कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई।

उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आई,। वीरावती ने उससे इस घटना का कारण पूछा तो इंद्राणी ने कहा कि तुमने भ्रम में फंसकर चंद्रोदय होने से पहले ही भोजन कर लिया,इसलिए तुम्हारा यह हाल हुआ है। पति को पुनर्जीवित करने के लिए तुम विधिपूर्वक करवा चतुर्थी व्रत का संकल्प करो।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय

/चंदा

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