जिले के दो बच्चो को इलाज के लिए भेजा गया पीएमसीएच

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जिले के दो बच्चो को इलाज के लिए भेजा गया पीएमसीएच


किशनगंज,26 जून(हि.स.)। भारत में 1000 जीवित जन्मों में से लगभग एक बच्चा इस चेहरे की विकृति के साथ पैदा होता है। कटे होंठ और तालू के साथ पैदा हुए अधिकांश बच्चे या अन्य लक्षण के साथ सामान्य होते हैं। हालांकि, कुछ बच्चे सिंड्रोमिक क्लेफ्ट्स नामक कई प्रणालियों को प्रभावित करने वाली बीमारी से जुड़े हो सकते हैं। अक्सर लड़कों में कटे होंठ और तालू अधिक होता है और केवल कटा तालू लड़कियों में अधिक होता है। कटे तालू की घटनाओं में कुछ नस्लीय प्रभाव भी होते हैं। ऐसा ही जिले के कोचाधामन एवं किशनगंज प्रखंड के दो बच्चो को सफल इलाज हेतु पटना भेजा गया है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष की आयु तक वालों के कटे होंठ-तालू का निशुल्क आपरेशन कराया जा रहा है। बुधवार को सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि कल तक जिन मासूम चेहरों पर मायूसी छाई थी वे खुशियों से दमकने लगे हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष की आयु तक वालों के कटे होंठ-तालू का नि:शुल्क आपरेशन कराया जा रहा है।

डाॅ. राजेश कुमार ने बताया की कटा होंठ, होंठ के दोनों किनारों का विभाजन होता है। विभाजन में अक्सर ऊपरी जबड़े और/या ऊपरी मसूड़े की हड्डियां शामिल होती हैं। कटा तालू मुंह के ऊपरी भाग में खुलता है। कटा होंठ और तालू एक ऐसी स्थिति है, जो तभी होता है जब होंठ के दो किनारे या मुंह का ऊपरी भाग (तालू) पूरी तरह से एक साथ नहीं मिलते है, क्योंकि नवजात शिशु विकसित हो रहा था। होंठ और तालू अलग से विकसित होते हैं, इसलिए किसी बच्चे में कटे होंठ, कटे तालू या दोनों होना संभव है। जिले में लोगों को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन पूरी तरह सजग व गंभीर है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए आरबीएसके टीम की पहल पर जिले के जन्मजात दोष, डिफिसियेंसी, बाल रोग आदि पीड़ित बच्चों का पूरी तरह निःशुल्क इलाज कराया जा रहा है। जिसका सार्थक परिणाम यह है कि समुचित इलाज और स्वस्थ्य होने की उम्मीद छोड़ चुके पीड़ित बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो रहे और बच्चों को नई स्वस्थ जिंदगी जीने का अवसर मिल रहा है। ऐसे पीड़ित बच्चों का जिले की आरबीएसके टीम द्वारा स्क्रीनिंग कर चिह्नित किया जा रहा और आवश्यकता के अनुसार समुचित इलाज के लिए पटना या अहमदाबाद भेजा जा रहा है। जहां बच्चों का सरकारी स्तर से निःशुल्क समुचित इलाज हो रहा है।

इसी कड़ी में आरबीएसके टीम द्वारा किशनगंज प्रखंड के 07 माह की बच्ची फरहीन एवं कोचाधामन प्रखंड की 02 माह का बच्चा मुनीब की पहचान कर सफल इलाज हेतु पटना भेजा गया है। आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत कभी भी पंजीकरण कराया जा सकता है। इसके लिए जिला अस्पताल में संपर्क किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जिस भी परिवार में ऐसे बच्चे हैं वह उनके इलाज के लिए अपने गांव के आशा या आंगनबाड़ी कार्यकता से संपर्क कर या सीधे संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या आरबीएसके टीम से संपर्क कर सकते हैं। चिकित्सकों की माने तो जन्मजात होने वाली यह बीमारी काफी बच्चों में होती है। सही समय पर इसका इलाज न किए जाने पर इसका इलाज काफी मुश्किल हो जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा

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