जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत किसानो ने शुरू की गेहूं की उन्नत प्रभेद की खेती

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जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत किसानो ने शुरू की गेहूं की उन्नत प्रभेद की खेती


पूर्वी चंपारण,21 नवंबर(हि.स.)। जिले के किसानो ने वैज्ञानिकों के सुझाव पर जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत गेहूं की उन्नत डीबीडब्ल्यू-187 प्रभेद की बुवाई शुरू कर दिया है। किसान इस गेंहूं की इस प्रभेद की बुवाई जीरो टिल कम फर्टी ड्रिल मशीन से कर रहे है।

परसौनी कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि बिहार में धान-गेंहू की खेती का क्षेत्रफल अन्य फसलों की तुलना में अधिक है।आमतौर पर किसान गेहूं की बुआई छिटवा विधि से करते हैं,जिसमे लागत के साथ काफी समय लगता है,साथ अत्यधिक जुताई के कारण गेहूँ के लिए खेतो में पर्याप्त नमी नही मिल पाती है।ऐसे में वरीय वैज्ञानिक अरविंद कुमार सिंह के नेतृत्व में मृदा विशेषज्ञ डॉ आशीष राय, डॉ अंशू गंगवार के साथ संस्कृति सिंधु, रूपेश कुमार और चुन्नू कुमार आदि मिलकर जलवायु परिवर्तन के इस दौर में परसौनी गांव और इसके आस पास के किसानों को जलवायु अनुकूल खेती कार्यक्रम के अंतर्गत गेहूं की बुआई मशीन से करवा रहे हैं। जिससे 30-35 प्रतिशत तक नमी वाले खेतों मे भी बुआई हो रही है।

बताया गया इस मशीन द्वारा सामान्य बुआई से 2-3 सप्ताह पहले भी बुआई हो सकती है। मृदा अभियांत्रिक विशेषज्ञ डॉ अंशू गंगवार ने बताया कि परम्परागत विधि की तुलना में इस विधि से खेती करने पर 8000-10000 प्रति हेक्टेयर जुताई खर्च की बचत होती है। 15-20 दिन पहले फसल की बुआई होने पर 10-20 प्रतिशत ज्यादा उपज होता है।साथ ही इस विधि से 15-20 प्रतिशत पानी की भी बचत होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा

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