जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने को लेकर इंटरफेस बैठक का आयोजन

-अग्निशमन विभाग ने भी किया मॉक ड्रील का आयोजन
पूर्वी चंपारण,24 मार्च (हि.स.)। बाल रक्षा भारत सेव द चिल्ड्रेन के द्वारा जलवायु स्मार्ट रेजिलिएन्ट कम्युनिटी कार्यक्रम के अंतर्गत होटल राजेश्वरी पैलेस में एक जिला स्तरीय इंटरफेस मीटिंग का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा न्यूनीकरण, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करना और समुदायों को आपदाओं से निपटने में सक्षम बनाना है।कार्यक्रम का शुभारंभ बच्चों के स्वागत गीत से हुआ।
मौके पर बाल रक्षा भारत सेव द चिल्ड्रेन के प्रदेश प्रतिनिधि पीयूष कुमार ने बैठक को संबोधित करते कहा कि आपदा से होने वाली क्षति और नुकसान को कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है समुदाय की क्षमता वर्धन। किसी भी आपदा में पहला रिस्पांदर समुदाय ही होता है, इसीलिए हमें अपने समुदाय की तैयारियों पर जोर देने की जरूरत है।
उन्होने जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों पर प्रकाश डालते कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता बढ़ रही है, और इससे बचाव के लिए हमें रणनीतियां विकसित करनी होंगी।इस अवसर पर जिला अग्निशमन प्रभारी रंजीत कुमार ने कहा कि अगलगी को एक मानवजनित आपदा है। इसके प्रति लोगो जागरूक करने की जरूरत है।
उन्होने कहा, ग्रीष्मकालीन मौसम में पछुआ हवा चलने पर हमें भोजन बनाने के समय का ध्यान रखना चाहिए। खाना सुबह 8 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद बनाना चाहिए ताकि आग की घटनाएं न हों।उन्होंने यह भी बताया कि फूस के घरों को बालू, मिट्टी और गोबर से लिपट कर अगलगी से बचा जा सकता है। इस दौरान, अग्निशमन विभाग की ओर से मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया गया। जिसमें भाग लेने वाले समुदाय के सदस्यों को आपातकालीन स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया करनी चाहिए, यह सिखाया गया।वही बिहार इंटर एजेंसी ग्रुप के अमर ने बरदाहा पंचायत का जिक्र करते हुए कहा कि यह इलाका जिले का सबसे निचला भूभाग है, जहां हर साल बाढ़ के कारण स्थानीय लोगों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में कई अवसर हैं और बाल रक्षा भारत सेव द चिल्ड्रेन ने इस दिशा में पिछले चार महीनों में उत्कृष्ट काम किया है।
हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार