वट सावित्री पर्व अनुष्ठान की चहुंओर उत्साहपूर्ण वातावरण
मधुबनी,06 जून,(हि.स.)। जिला मुख्यालय सहित सुदूर ग्रामीण परिवेश में वट सावित्री पर्व गुरुवार को मनोयोग से मनाया जा रहा।
सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति के अक्षुण्ण दीर्घायु उम्र के लिए व्रत रखकर वट सावित्री पूजा सबतरि गुरुवार को की गई। शास्त्रानुसार वट सावित्री पर्व की परम्परागत सांस्कृतिक पौराणिक धार्मिक आख्यान हैं।खासकर नव विवाहित वर- वधू वट सावित्री पर्व में धार्मिक आचरण के साथ पूजा अर्चना करती हैं।
इस विशिष्ट पर्व के अवसर पर नव विवाहित वर- वधू शुद्धता की प्रतीक बिना नमक भोजन करती हैं।अवसर पर अहिवात महिलाओं व कौमार्य भोजन कराने की परम्परागत सांस्कृतिक व्यवहार है। शास्त्रीय कथानक के अनुसार वट सावित्री पर्व की विभिन्न आयाम दर्शाया गया है।
रूपौली गांव निवासी कर्म काण्ड के विशिष्ट पं रंजन झा ने बताया कि वट सावित्री पर्व में वटवृक्ष की पूजा अनुष्ठान की विधान है। पर्यावरण संरक्षण संवर्धन के लिए भी वट सावित्री पूजा की जाती है।
सामान्य जीवन में वट वृक्ष व पीपल का गाछ सर्वाधिक आक्सीजन छोड़ने वाला वृक्ष है। पं रंजन झा ने बताया कि भगवान कृष्ण श्रीमद्भागवत गीता में स्पष्ट कहते कि वृक्षों में मैं पीपल हूं।यहां समरनाथ झा व भारती झा के आवास पर गुरुवार को वट सावित्री पर्व अनुष्ठान की साविध पूजा की भव्यता देखते बनी।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ लम्बोदर/गोविन्द
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