गुरु नानक जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में मना,जम्मू कश्मीर के रागी जत्था ने दी अपनी प्रस्तुति
अररिया 27 नवंबर(हि.स. )।
फारबिसगंज के राममनोहर लोहिया पथ स्थित गुरुद्वारा में सिख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देवजी की जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में सिख समाज के लोगों ने आज धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर जम्मूकश्मीर से आये रागी जत्था ने गुरु की महिमा को अपने राग के द्वारा प्रस्तुत किया।प्रकाश उत्सव को लेकर गुरुद्वारा में चौबीस घण्टे का अखंड पाठ का शुभारंभ रविवार को किया गया था, जिसका समापन गुरुअरदास के बाद सोमवार को किया गया।
मौके पर गुरुद्वारा के मुख्यग्रन्थी ज्ञानी प्रदीप सिंह ने गुरु नानक देव के जीवन और व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि नानक देव जी का जन्म सन 1469 को पंजाब के तलवंडी (पाकिस्तान) में उस समय हुआ था, जब समाज मे पाखंडवाद और छुआछूत चरम सीमा पर थी। ऐसे समय मे गुरुनानक देव ने पाखंडवाद के खिलाफ समाज मे जागरूकता लाते हुए एक ईश्वरवाद का प्रचार किया।
ज्ञानी श्री सिंह ने आगे कहा कि नानक साहेब ने अपने शिष्यों को तीन उपदेश दिये सिमरण करना, नाम जपना और बांट कर खाना था, जिसे आज तक सिख समाज निभाते आ रहे है, आज लंगर परम्परा उन्हीं की देन है।गुरुद्वारा प्रधान प्रीतपाल सिंह, सचिव तेजेन्द्र सिंह उर्फ काके ने गुरु नानक देव के शिक्षाप्रद बातों का बखान किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/चंदा
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