नवजात बदले जाने को लेकर परिजनों का हंगामा,बेटा के बदले थमाया बेटी
अररिया,13 अप्रैल (हि.स.)।
फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल के प्रसव गृह कक्ष से नवजात शिशु बदले जाने को लेकर परिजनों ने शनिवार को जमकर हंगामा किया।
परिजनों का आरोप है कि नवजात शिशु के रूप में पुत्र पैदा हुआ था।जिसका न केवल अस्पताल से डिस्चार्ज कागज पर भी अंकित किया गया। बल्कि प्रसव कार्य में लगे ऑन ड्यूटी जीएनएम प्रभारी पल्लवी कुमारी समेत मिलन कुमारी और आरती कुमारी ने खुशनुमा के तौर पर जबरन एक हजार रुपये भी लिए। परिजनों को नवजात शिशु के रूप में पुत्र के बदले पुत्री दिए जाने की जानकारी तब मिली,जब नवजात शिशु को लेकर परिजन कपड़े में लपेटकर घर लेकर चले गए थे। जहां पुत्र के बदले नवजात शिशु के पुत्री देखने पर फिर कुर्साकांटा से नवजात शिशु को लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे और मामले को लेकर जमकर हंगामा किया।
हालांकि अस्पताल प्रबंधन मानवीय भूल करार देते हुए डिस्चार्ज वाले पुर्जें में पुत्री के बदले पुत्र अंकित हो जाने की सफाई दी। कुर्साकांटा पगडेरा नुनियारी वार्ड संख्या 13 के रहने वाले उमेश सिंह ने बताया कि 2018 में उनकी शादी हुई थी और पहले संतान के रूप में बेटी है। देर रात प्रसव पीड़ा से पत्नी किरण देवी के कराहने के बाद उनको लेकर आशा प्रतिमा देवी के साथ अहले सुबह कुर्साकांटा से फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचा। प्रसव गृह कक्ष में भर्ती किए जाने के थोड़ी देर में ही बेटा के जन्म लेने की ड्यूटी पर तैनात जीएनएम ने आशा प्रतिमा देवी को जानकारी दी और खुशनुमा के तौर पर एक हजार रुपये की मांग की।जिसके बाद आशा के द्वारा परिजनों को बेटा होने की जानकारी दी गई।
उमेश सिंह ने बताया कि खुशनुमा के तौर पर जब पांच सौ रुपये दिए गए तो जीएनएम लेने से इंकार कर जबरन दबाव बनाकर एक हजार रुपये की अवैध वसूली की। उन्होंने बताया कि बीसीजी का टीका लगाने के बाद कपड़े में लपेटकर डिस्चार्ज स्लिप के साथ नवजात को दे दिया गया। डिस्चार्ज स्लिप में भी नवजात के लिंग के रूप में पुत्र होने को दर्शाया गया। नवजात शिशु और उसकी मां को लेकर जब परिजन घर पहुंचे तो कपड़ा हटाकर देखने पर बेटा के बदले बेटी पाया। जिसके बाद वे लोग अस्पताल पहुंचे। लेकिन अस्पताल प्रबंधन मानवीय भूल करार देते हुए लड़की के बदले लड़का लिख देने की बात कही। जिसको लेकर परिजनों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। जिसके बाद डायल 112 को सूचना दी गई और फिर मौके पर डायल 112 से पुलिस अधिकारी सुजीत कुमार पुलिस बलों के साथ मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली।
अस्पताल प्रबंधन की ओर से मानवीय भूल करार देने के बावजूद परिजन पुत्र के जन्म लेने की बात पर अडिग है। खुशनुमा के तौर पर एक हजार रुपये वसूले जाने का आरोप पल्लवी कुमारी,मिलन कुमारी और आरती कुमारी पर लगाया गया है।
मामले को लेकर प्रसव गृह प्रभारी जीएनएम पल्लवी कुमारी ने पैसे लेकर प्रसूता और नवजात को डिस्चार्ज करने के लगाए गए आरोप को सिरे से खारिज किया। उन्होंने बताया कि शनिवार को दस बजे एक ही समय में दो मरीज को डिस्चार्ज किया गया। जिसमे एक रामपुर की पूजा सिंह और दूसरी कुर्साकांटा की किरण देवी थी। पूजा कुमारी का अहले सुबह चार बजे और किरण देवी का साढ़े चार बजे डिलिवरी हुआ। उन्होंने डिस्चार्ज स्लिप पर गलती से नवजात के पुत्र अंकित कर देने की बात कही। मामले पर अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ के एन सिंह ने भी मानवीय भूल के तहत डिस्चार्ज स्लिप में गलती होने की बात कही। डिलीवरी के बाद पैसे वसूली मामले को लेकर जांच करने की बात कही।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/गोविन्द
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