गिरिराज सिंह ने विश्वकर्मा योजना में बेगूसराय को शामिल करने के लिए पीए को दिया धन्यवाद

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गिरिराज सिंह ने विश्वकर्मा योजना में बेगूसराय को शामिल करने के लिए पीए को दिया धन्यवाद


गिरिराज सिंह ने विश्वकर्मा योजना में बेगूसराय को शामिल करने के लिए पीए को दिया धन्यवाद


बेगूसराय, 05 नवम्बर (हि.स.)। पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए पीएम विश्वकर्मा योजना में बिहार के बेगूसराय को भी शामिल कर लिया गया है। बेगूसराय को इस योजना में शामिल करने पर स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया है।

दो दिवसीय प्रवास पर बेगूसराय आए गिरिराज सिंह ने आज कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में परंपरागत उद्योग करने वाले को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की है। इसके तहत कुम्हार, कारपेंटर, लोहार, धोबी, नाई और नाव बनाने वाले सहित 18 तरह के लोगों के लिए 14 हजार करोड़ की स्वीकृति दी गई है। प्रथम चरण में बिहार के 26 जिले को इसमें शामिल किया गया था।

उन्होंने एमएसएमई मंत्री से अनुरोध किया था कि बेगूसराय औद्योगिक केंद्र है। यह प्रधानमंत्री मोदी का आकांक्षी जिला है, इसके चार प्रखंड भी आकांक्षी हैं। इसलिए बेगूसराय को इस योजना से जोड़ा जाए। एमएसएमई के निदेशक ने सूचित किया है कि बेगूसराय को भी विश्वकर्मा योजना में शामिल कर लिया गया है। अब यहां के भी सभी 18 तरह के पारंपरिक रोजगार करने वाले को प्रशिक्षण दिया जाएगा, प्रशिक्षण अवधि का पैसा भी दिया जाएगा।

मुफ्त में 15 हजार का किट मिलेगा, नए-नए मशीनों के साथ वे अपने परंपरागत उद्योग को बढ़ावा देंगे। धोबी अगर कपड़ा धोने के लिए वाशिंग मशीन ले लेंगे तो उनके समय और श्रम दोनों चीज की बचत होगी। लोहार भी आधुनिक भट्ठी के माध्यम से अपना परंपरागत कार्य कर सकते हैं, आराम मिलेगा। कुम्हार इलेक्ट्रॉनिक चाक के माध्यम से बर्तन बनाएंगे। सबको आधुनिक मशीनों से जोड़कर गांव में 18 तरह के रोजगार करने वाले को फायदा मिलेगा।

गिरिराज सिंह ने कहा कि इस योजना में बेगूसराय को शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री को जितना धन्यवाद दिया जाए वह कम है। क्योंकि इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा तथा अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित पेशे को मजबूत करना और बढ़ावा देना है। उत्पादों और सेवाओं की पहुंच तथा गुणवत्ता में सुधार करने के साथ वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ सकेंगे।

ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्र के कारीगरों एवं शिल्पकारों को सहायता प्रदान किया जा रहा है। कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र एवं पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी। रियायती ब्याज दर के साथ पहली किश्त एक लाख रुपये और दूसरी किश्त दो लाख रुपये तक ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता भी की जाएगी।

गिरिराज सिंह ने कहा कि अब बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्र बनाने वाला, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार एवं जूता कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर, पारंपरिक गुड़िया और खिलौना निर्माता, नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले को इस योजना से काफी फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकार देश के प्रत्येक विश्वकर्मा को समग्र संस्थागत सहायता प्रदान करेगी। पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को बनाए रखना है। नरेन्द्र मोदी का उद्देश्य है कि आज के विश्वकर्मा कल के उद्यमी बनें। इसके लिए उनके व्यापार मॉडल में स्थायित्व आवश्यक है। ग्राहकों की जरूरतों तथा स्थानीय एवं वैश्विक बाजार को भी लक्षित किया जा रहा है।''

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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