सिमरिया गंगा धाम स्थित सिद्धाश्रम में प्रतिष्ठित किया गया द्वादश कुंभ कलश
बेगूसराय, 19 मार्च (हि.स.)। चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के वारुणी योग में आज आदि कुंभ स्थली सिमरिया गंगा धाम में द्वादश कुंभ कलश की स्थापना का पूजन एवं प्रतिष्ठा किया गया। स्वामी चिदात्मन जी के नेतृत्व में द्वादश कुंभ कलश में रामघाट से जलाभिषेक कर 21 सदस्य आचार्यों के द्वारा सर्वमंगला सिद्धाश्रम में प्रतिष्ठित किया गया।
यह पूजनोत्सव अमावस्या 21 मार्च तक चलेगा। इसके बाद 22 मार्च से चैत्र नवरात्र पर्यंत द्वादश श्रीमद देवी भागवत के पाठ के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं जपात्मक और भावनात्मक क्रिया के साथ-साथ पूर्णाहुति में विश्व ब्रह्मांड के कल्याण, भारत के सर्वांगीण विकास, सनातन धर्म के पुनरुत्थान तथा भारत को अतीत का गौरव प्राप्त कराने के लिए अनंत श्री कोटी हवनात्मक अंबा महायज्ञ में एक करोड़ आहुति की पूर्णाहुति होगी।
इस अवसर पर स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि अपौरुषेय सनातन धर्म में आत्म सर्वभूतेषु के तहत विश्व ब्रह्मांड को एक नए रूप में देखा गया। जिसमें प्रतिवर्ष एक राशि पर सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति के योग से महाकुंभ योग दैहिक, दैविक, भौतिक सब प्रकार के ताप को दूर करने वाला, अलौकिक सुख और पारलौकिक गति देने वाला कहा गया है। इसकी पुर्न जागृति राजा हर्षवर्धन के समय में हुआ। उनके सौजन्य से प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में हुआ।
सनातन धर्म में शैव और वैष्णव संप्रदाय के सौजन्य से चारों जगह कुंभ हुआ। लेकिन, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय एवं देश के लब्ध प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, आचार्यों, ऋषि-मुनियों, संत-महात्माओं एवं विद्वत समाज के द्वारा शेष आठ महाकुंभ भी जागृत किया गया। जिसमें मीन राशि पर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के योग से ब्रह्मपुत्र आसाम क्षेत्र कामाख्या में यह कुंभ योग सर्वमंगला समिति सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ वेद विज्ञान अनुसंधान केंद्र एवं पीठाधीश्वर के सौजन्य से पुनः जागृत हुआ।
आज चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी वारुणी योग में समिति के पदाधिकारियों के सौजन्य से कामाख्या में ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान तथा कामाख्या माता का पूजन, हवन, भंडारा आयोजित हुआ। इसी के तहत आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम में भी स्वामी चिदात्मन जी के नेतृत्व में द्वादश कुंभ कलश का विधिवत पूजन किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र
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