भारत विकास का दशक एवं सनातन धर्म पर परिचर्चा आयोजित
सहरसा,04 नवम्बर(हि.स.)। जन चेतना मंच द्वारा शनिवार को गंगजला चौक स्थित देव रिसोर्ट में भारत के विकास का दशक और सनातन धर्म पर परिचर्चा आयोजित किया गया।इस अवसर पर विजय बसंत के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश नेता सरोज झा, कार्यक्रम संयोजक सुदीप प्रसाद सिंह, प्राचार्य डॉ रेनू सिंह, प्रोफेसर गौतम कुमार एवं श्री कृष्ण झा को अंग वस्त्र व पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम संयोजक श्री सिंह ने कहा कि भारत अपने सनातन काल से समृद्ध रहा है। पाश्चात्य देश को जब गिनती नहीं आती थी उसे समय भारत में कई विश्वविद्यालय एवं हजारों गुरुकुल चल रहे थे। जहां विश्व के छात्र अध्ययन के लिए भारत आते थे।
डॉक्टर रेनू सिंह ने कहा कि भारत सोने की चिड़िया थी। अब वह पुनः अपने पुराने स्वरूप में लौटने का प्रयास कर रही है। पिछला दशक देश के लिए विकास का दशक साबित हुआ है। आज देश सभी क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास कर विश्व के सामने नई चुनौतियां पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि सनातन का तात्पर्य शाश्वत है जो निरंतर चलते रहता है। सनातन पर सदियों चर्चा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष की गुलामी के कारण लोगों की अस्मिता धूमिल हुआ है। राष्ट्र धर्म का पालन कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।
भाजपा नेता मुख्य अतिथि सरोज झा ने कहा कि पिछले दशक में जो विकास हुआ है। वह कल्पनातीत है अपने संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन अवश्य करें। उन्होंने कहा कि सामान्य कार्यकर्ता जब सत्ता में बैठता है तो परिवर्तन निश्चित होता है। इस दशक से पहले लोगों को हिंदू कहने में शर्म होती थी। हमारा मिशन और विजन अन्य राजनीतिक दलों से अलग है। हम लोग भारत मां को परम वैभव के शिखर पर ले जाना चाहते हैं। सनातन सम्मान में सबसे नीचे लोगों को ऊपर उठना है। जाति समाज को नहीं जोड़ सकता।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा अंत्योदय योजना, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, विश्वकर्मा सम्मान योजना, राम मंदिर का निर्माण,धारा 370 की समाप्ति, आयुष्मान योजना सहित 125 से भी अधिक योजनाएं जनकल्याण के लिए चलाई जा रही है।उन्होंने कहा कि कर्म महत्वपूर्ण है जाति नहीं।आज सभी राजनीतिक दल हिंदुत्व के इर्द-गिर्द घूमने लगी है जो बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। हिंदू समाज सदियों से आत्मविस्मृत के शिकार हुए हैं।जिसके कारण सनातन धर्म में कुछ विकृतियों आई है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय
/चंदा
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