वर्ल्ड ऑक्युपेशनल थेरेपी डे पर रामचन्द्र विद्यापीठ में हुई परिचर्चा

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वर्ल्ड ऑक्युपेशनल थेरेपी डे पर रामचन्द्र विद्यापीठ में हुई परिचर्चा


वर्ल्ड ऑक्युपेशनल थेरेपी डे पर रामचन्द्र विद्यापीठ में हुई परिचर्चा


वर्ल्ड ऑक्युपेशनल थेरेपी डे पर रामचन्द्र विद्यापीठ में हुई परिचर्चा


सहरसा,27 अक्टूबर (हि.स)। जिले के सोनवर्षा नगर पंचायत स्थित रामचन्द्र विद्यापीठ पैरामेडिकल काॅलेज सोहा में शुक्रवार को संस्थान द्वारा वर्ल्ड ऑक्युपेशनल थेरेपी डे दिवस आयोजित किया गया। इस अवसर पर बहुउद्देशीय सभागार में वर्तमान चिकित्सा पद्धति में ऑक्युपेशनल के योगदान विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन ईस्ट एन वेस्ट ऑफ काॅलेज समुह के चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन,मधेपुरा मेडिकल काॅलेज के ऑक्युपेशनल थैरपी विशेषज्ञ डाॅ स्वेता सोनम,डाॅ प्रियदर्शनी कुमार,सुपौल सदर अस्पताल के ऑक्युपेशनल थेरेपी विशेषज्ञ डाॅ राजेश कुमार संस्थान के प्राचार्य डॉ राजन कुमार के हाथों दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

परिचर्चा को संबोधित करते हुए जन नायक कर्पूरी ठाकुर चिकित्सा महाविद्यालय मधेपुरा के सहायक प्राध्यापक ऑक्युपेशनल थेरेपीस्ट डाॅ स्वेता सोनम ने अपने संबोधन में सभी छात्र/छात्राओं को वर्ल्ड ऑक्युपेशनल थेरेपी डे की शुभकामनाये देते हुए कहा कि कोशी जैसे पिछड़े क्षेत्र में डाॅ रजनीश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो दीपक जलाने काम किया है। वह दीपक हमेशा जलते रहना चाहिए।

उन्होंन आयोजित विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा की द्वितीय विश्व युद्ध के समय से ऑक्युपेशनल थैरेपी की शुरुआत मानी गई है।उन्होंने कहा वस्तुत: ऑक्युपेशनल थेरेपी तीन बिंदुओं पर कार्य करता है। पहला प्ले दूसरा वर्क तीसरा लेजर इस विषय में रोजगार एवं कारीयर की असीम संभावनाए है और कार्य स्थल एवं वेतन आदि में एमबीबीएस पास डाॅक्टर के समतुल्य है।जन नायक कर्पूरी ठाकुर चिकित्सा महाविद्यालय के फिजियो थेरेपीस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ प्रियदर्शी कुमार ने वर्तमान चिकित्सा पधती में व्यवसायिक चिकित्सा के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा की ऑक्युपेशनल थेरेपी के प्रति आमजन में जागरूकता का घोर अभाव है।हमें इस चिकित्सा पद्धति को आम जनमानस तक पहुंचाने की जरूरत है।

उन्होंन कहा जब बच्चा जन्म लेता है जन्म के ठीक बाद उसे पहले किसी ऑक्युपेशनल थेरेपीस्ट से परामर्श लेना आवश्यक होता है जो कि सिर्फ बड़ शहरो ही ऐसी व्यवस्था है।हम डाॅ रजनीश के प्रति आभार व्यक्त करते है कि उन्होंन ऑक्युपेशनल थेरेपी के चार वर्षीय डीग्री पाठ्यक्रम को कोशी जैसे पिछड़ क्षेत्र में प्रारंभ किया है।लोगों में भ्रांति है कि यह पैरामेडिकल का हिस्सा है।ईस्ट एन वेस्ट फाउंडेशन ग्रुप के जनसंपर्क पदाधिकारी अभय मनोज के संचालन में आयोजित परिचर्चा को प्राचार्य डॉ राजन कुमार सिंह, प्रशासनिक अधिकारी डॉ प्रेम नारायण सिंह, डॉ सरोज सास्वत, डाॅ अनु प्रिया, डाॅ महिमा राज सहित अन्य ने संबोधित किया।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय

/चंदा

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