कल्पवास मेला में हर ओर प्रवाहित हो रही है आध्यात्म और आस्था की धारा

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कल्पवास मेला में हर ओर प्रवाहित हो रही है आध्यात्म और आस्था की धारा


कल्पवास मेला में हर ओर प्रवाहित हो रही है आध्यात्म और आस्था की धारा


कल्पवास मेला में हर ओर प्रवाहित हो रही है आध्यात्म और आस्था की धारा


बेगूसराय, 02 नवम्बर (हि.स.)। पर्वों के पावन मास कार्तिक में बेगूसराय का चप्पा-चप्पा आध्यात्म के रंग में सराबोर हो गया है। यहां बछबाड़ा से साहेबपुर कमाल तक जीवनदायिनी गंगा के किनारे श्रीमद् भागवत से लेकर कार्तिक महात्म्य तक गुंजायमान हो रही है।

गंगा किनारे बीहट नगर परिषद क्षेत्र में राजकीय सिमरिया कल्पवास मेला, बछवाड़ा प्रखंड के चमथा, तेघड़ा प्रखंड के अयोध्या घाट पर कल्पवास मेला लगा हुआ है। इन जगहों पर बने पर्णकुटीरों में बिहार, बंगाल, आसाम, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ-साथ नेपाल के हजारों श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं।

अहले सुबह गंगा स्नान के बाद तुलसी पूजन और सूर्य नमस्कार से इनकी आध्यात्मिक दिनचर्या शुरू हो जाती है। इसके बाद मेला क्षेत्र के तमाम मंदिर, खालसा और सेवा शिविरों में सुबह से लेकर शाम तक श्रीमद् भागवत कथा, कार्तिक मास महात्म्य, रामायण पाठ और मिथिला महात्म्य आदि का श्रवण कर श्रद्धालु आध्यात्मिक भक्ति की धारा में लीन रहते हैं।

देर शाम गंगा आरती के बाद इनकी अध्यात्मिक दिनचर्या संपन्न होती है। इस दौरान इन लोगों का भोजन भी पूरी तरह से सात्विक होता है तथा अधिकतर लोग गंगाजल में पकाया गया अरवा-अरवाइन भोजन ही करते हैं। इन तीनों कल्पवास स्थल में सबसे अधिक भीड़ आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम में लगी हुई है। जहां की बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हुए हैं तथा 122 खालसा लगाए गए हैं।

प्रशासनिक स्तर पर राजकीय कल्पवास मेला में व्यापक बंदोबस्त किया गया है। पहले यहां आने वाले श्रद्धालु खुद से जंगल काट कर उबड़-खाबड़ जमीन में किसी तरह झोपड़ी बनाकर रहते थे। लेकिन इस बार सरकार ने 12 लाख स्क्वायर फीट में समतलीकरण एवं घेराबंदी कर सुव्यवस्थित कल्पवास क्षेत्र बना दिया है। पर्ण कुटीर भी अब झोपड़ी के कम और टेंट के अधिक दिख रहे हैं।

जहां एक ओर सभी खालसा एवं सर्वमंगला सिद्धाश्रम में कथा श्रवण करने वालों की भीड़ उमड़ीउ है तो शाम में कुंभ सेवा समिति द्वारा वाराणसी के विद्वान पंडितों से कराए जा रहे गंगा आरती में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है। गंगा आरती का मनोरम दृश्य बनारस का गंगा घाट सदृश दिखता है। जिसके कारण कल्पवासियों के अलावा बड़ी संख्या में दूरदराज के आम लोग भी गंगा आरती देखने जुट रहे हैं।

दूसरी ओर चमथा दियारा में बगैर किसी प्रशासनिक सहायता के विशाल मेला लगा है। जहां की हजारों लोग कल्पवास कर रहे हैं। वहां जाने के लिए बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त रास्तों को भी दुरुस्त नहीं किया जा सका है। इधर सिमरिया में नौ नवम्बर को होने वाले अर्धकुंभ के शाही स्नान की तैयारी तेजी से चल रही है। शाही स्नान के लिए सर्वमंगला सिद्धाश्रम सहित अन्य सभी साधु-संत कुंभ सेवा समिति के नेतृत्व में जुलूस निकालेंगे।

कुल मिलाकर सिमरिया गंगा धाम में सूर्योदय के पूर्व से सूर्यास्त के बाद तक आध्यात्म, भक्ति और आस्था की गंगोत्री प्रवाहित हो रही है। जहां कि श्रद्धालु भक्ति रस में गोते लगा रहे हैं। श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हो इसके लिए बड़ी संख्या में अधिकारी, पुलिस बल और नदी में डीडीआरएफ के गोताखोर तैनात हैं। मुख्यमंत्री के करीब माने जाने वाले मंत्री संजय कुमार झा ने भी कल्पवास क्षेत्र का निरीक्षण किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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